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गुरुग्राम के सरस्वती एन्क्लेव इलाके में स्थित औद्योगिक क्षेत्र के एक गोदाम में मंगलवार देर रात भीषण आग लग गई. अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. गुरुग्राम के साथ ही अन्य जिलों से भी दमकल की कई गाड़ियों को मौके पर बुलाया गया है. इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. सेक्टर-10 पुलिस स्टेशन के एसएचओ रामबीर सिंह ने बताया कि आग बुझाने का काम जारी है.
सिंह ने बताया, हमें आग लगने की सूचना मिली थी. पुलिस बल यहां पहुंचा और फायर ब्रिगेड को बुलाया. 4-5 फायर गाड़ियां खाली होने के बाद वहां से निकल गई हैं और 4-5 फायर गाड़ियां मौके पर मौजूद हैं. अभी तक कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन कंपनी को आर्थिक नुकसान हुआ है.
सेक्टर-37 फायर स्टेशन के फायर ऑफिसर जय नारायण ने बताया कि उन्हें रात 11.39 बजे गोदाम में आग लगने की सूचना मिली थी.
नारायण ने कहा, हमने सभी दमकल गाड़ियों को बुला लिया है. गुरुग्राम, नूंह और झज्जर से दमकल गाड़ियां बुलाई गई हैं. कम से कम 20 दमकल गाड़ियां मौके पर हैं. अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के पास ईद के जश्न के दौरान गैस पाइपलाइन में रिसाव के बाद भीषण आग लग गई. आग के कारण लोगों को अपने घरों को छोड़कर के बाहर भागना पड़ा. इस हादसे में करीब 100 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. अग्निशमन अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. हालांकि गनीमत रही कि इस हादसे में अभी तक किसी की मौत होने की खबर नहीं है.
कुआलालंपुर के पास सेलंगोर राज्य में अग्निशमन अधिकारियों ने बताया कि आग की लपटें कई किलोमीटर दूर से दिखाई दे रही थी. यह आग करीब 500 मीटर तक फैली गैस पाइपलाइन में रिसाव के कारण लगी थी. अग्निशमन अधिकारियों ने एक बयान में बताया कि मलेशिया की सरकारी तेल कंपनी पेट्रोनास से संबंधित प्रभावित पाइपलाइन के वाल्व को बंद कर दिया है.
60 घायलों को अस्पताल में कराया भर्तीअग्निशमन विभाग ने एएफपी को बताया कि सुबह-सुबह लगी आग पर दोपहर तक काबू पा लिया गया, लेकिन 100 से अधिक लोग घायल हो गए. स्थानीय ब्राडकास्टर एस्ट्रो अवानी ने सेलंगोर के उप पुलिस प्रमुख मोहम्मद जैनी अबू हसन के हवाले से बताया कि करीब 60 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अग्निशमन विभाग ने बताया कि आग से किसी की मौत की खबर नहीं है, लेकिन इससे करीब 50 घर प्रभावित हुए हैं.
लोगों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ामुस्लिम बहुल मलेशिया में ईद के जश्न के लिए सार्वजनिक अवकाश था. इस दौरान स्थानीय निवासियों को उपनगरीय क्षेत्र से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. आग की जगह से 100 मीटर की दूरी पर रहने वाले 49 वर्षीय निज़ाम मोहम्मद असनिज़ाम को अपने परिवार के साथ अपनी कार में घर से भागना पड़ा.
उन्होंने कहा, जब मैं उठा तो मैंने देखा कि आग भड़क रही है और एक असाधारण आवाज़ आ रही है. मैंने इस तरह की आवाज के साथ आग का अनुभव कभी नहीं किया था. आवाज भयानक थी. ऐसा लगा जैसे कोई जेट इंजन मेरे बगल में है.
उन्होंने कहा, फर्श पर पैर रखना गर्म कड़ाही पर पैर रखने जैसा था. गर्मी ऐसी थी जैसे अपना सिर ओवन में डाल दिया हो, ऐसा लगा जैसे मैं जल रहा हूं
सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरलऑनलाइन साझा डैशकैम फुटेज में आग का एक स्तंभ दिखाई दिया जो एक विशाल आग का गोला बनकर आसमान में उछल गया. ऑनलाइन साझा एक अन्य वीडियो में एक रिहायशी इलाका धुएं से ढका दिखाई दे रहा है, जबकि उसके पीछे आग जल रही है. वीडियो में जले हुए पेड़ और पिघली हुई कारें भी दिखाई दे रही हैं.
सेलंगोर के मुख्यमंत्री अमीरुद्दीन शारी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि पास कि एक मस्जिद में एक अस्थायी राहत केंद्र स्थापित किया गया है. उन्होंने लोगों को आग से प्रभावित क्षेत्र से दूर रहने की चेतावनी दी है.

पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को पुंछ के केजी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार भारतीय ठिकानों पर गोलीबारी करके संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन किया. इसके बाद भारतीय सेना की कृष्णा घाटी ब्रिगेड के नेतृत्व में नांगी टेकरी बटालियन के जवानों ने जोरदार जवाबी कार्रवाई की और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. इस मामले में अभी और जानकारी की प्रतीक्षा है.
इससे पहले, कठुआ के पंजतीर्थी इलाके में आतंकवादियों के साथ गोलीबारी के बाद सुरक्षाबलों ने तलाशी और घेराबंदी अभियान तेज कर दिया था.
भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के नेतृत्व में एक संयुक्त अभियान में खुफिया सूचनाओं के आधार पर कठुआ के पंजतीर्थी इलाके में कई सर्विलांस और एंबुश लगाए गए हैं.
31 मार्च की रात को संदिग्ध गतिविधि का पता चलने के बाद अभियान तेज हो गया, जिसके बाद फिर से मुठभेड़ शुरू हो गई.
मुठभेड़ के बाद सुरक्षाकर्मियों ने 1 अप्रैल की सुबह तेजी से तलाशी अभियान शुरू किया. यह अभियान अभी भी जारी है और सुरक्षाबल क्षेत्र में कड़ी चौकसी बरत रहे हैं.
भारतीय सेना की राइजिंग स्टार कोर ने 31 मार्च को कहा, खुफिया सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई करते हुए कठुआ के पंजतीर्थी क्षेत्र में भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा कई सर्विलांस और एंबुश लगाए गए. 31 मार्च की रात को संदिग्ध गतिविधि देखी गई, जिसके कारण गोलीबारी हुई. 1 अप्रैल को सुबह होते ही सर्च एंड डेस्ट्रॉय ऑपरेशन शुरू किया गया है. यह अभियान अभी भी जारी है.

कश्मीर को लद्दाख को जोड़ने वाली जोजिला दर्रा को बॉर्डर रोड्स ने रिकार्ड समय में मंगलवार को फिर से खोल दिया. सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation) ने जोजिला दर्रे को इस वर्ष केवल 32 दिनों के रिकॉर्ड समय में फिर से खोल दिया. बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने लद्दाख की ओर जाने वाले पहले काफिले को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. आपको बता दें कि जोजिला दर्रा दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण और रणनीतिक रूप से उच्च पर्वतीय दर्रों में से एक है, जो कश्मीर घाटी को लद्दाख से जोड़ता है.
इस साल यह दर्रा पश्चिमी विक्षोभ के कारण 27 फरवरी से 16 मार्च 2025 तक 17 दिनों तक लगातार भारी बर्फबारी की चपेट में रहा, जिससे इस पर बर्फ की भारी परत जम गई थी. अत्यधिक ठंड, तेज़ हवाओं और हिमस्खलन से इलाके में काम बहुत मुश्किल था. कठिन चुनौतियों के बावजूद बीआरओ कर्मियों ने मात्र 15 दिनों (17 मार्च से 31 मार्च) में बर्फ हटाकर इसे फिर से चालू कर दिया.
अस्थायी रूप से बंद हो जाता है दर्राहर साल, यह उच्च पर्वतीय दर्रा सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी के चलते अस्थायी रूप से बंद हो जाता है. इससे सैन्य आवाजाही, आवश्यक आपूर्ति और स्थानीय आबादी की दैनिक आवश्यकताओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है. लद्दाख के लोग व्यापार, चिकित्सा सेवाओं और आर्थिक गतिविधियों के लिए इस मार्ग पर निर्भर हैं. वैसे तकनीकी प्रगति, उन्नत बर्फ-सफाई तकनीकों और बीआरओ के समर्पित प्रयासों ने सड़क बंद रहने की अवधि को पिछले कुछ दशकों के छह महीनों से घटाकर अब कुछ ही हफ्तों तक सीमित कर दिया है.
BRO के समर्पण और दक्षता का प्रमाणजोजिला दर्रे का रिकॉर्ड समय में फिर से खुलना बीआरओ के अथक समर्पण और दक्षता का प्रमाण है. बीआरओ कश्मीर में प्रोजेक्ट बीकन और लद्दाख में प्रोजेक्ट विजयक के माध्यम से इस महत्वपूर्ण मार्ग को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए लगातार प्रयासरत है.


वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर जारी बयानबाजी और विरोध-प्रदर्शनों के बीच सरकार जेपीसी की सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार आज नए सिरे से इसे लोकसभा में पेश करेगी. सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी अपने सांसदों को अगले तीन दिनों के लिए व्हिप जारी किए हैं. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में आयोजित कार्य मंत्रणा समिति यानि BAC की बैठक में इस विधेयक पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय तय किया गया है. हालांकि विपक्ष ने 12 घंटे का वक्त देने की मांग की थी, जिसे ठुकरा दिया गया. राज्यसभा में इस विधेयक पर गुरुवार को चर्चा होने की उम्मीद है.
विधेयक के पक्ष में कौन-कौन?वक्फ बिल का दोनों सदनों से पारित होना फिलहाल औपचारिकता लग रहा है. खासतौर पर एनडीए की सभी सहयोगी पार्टियां इस विधेयक के समर्थन में नजर आ रही हैं. खासतौर पर जेडीयू, टीडीपी और एलजेपी के बिल का समर्थन करने के बाद सरकार की चिंता दूर हो गई है. हालांकि कुछ बिंदुओं को लेकर इन दलों को आपत्ति थी. टीडीपी ने बिल के समर्थन को लेकर अपने सांसदों के लिए व्हिप भी जारी कर दिया है. आइए जानते हैं कि कौन है बिल के समर्थन में.
विधेयक के विपक्ष में हैं ये पाटियांवक्फ बिल को लेकर विपक्षी पाटियां लगाता अपना विरोध दर्ज कराती रही हैं. इनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों के नाम शामिल हैं. समाजवादी पार्टी ने बिल को लेकर व्हिप जारी किया है. इसमें सभी सांसदों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है. इस बिल को लेकर अपनी रणनीति बनाने के लिए मंगलवार शाम को विपक्ष ने बैठक की, जिसमें इंडिया गठबंधन के सभी घटक शामिल हुए.
क्या कहता है लोकसभा-राज्यसभा का गणितलोकसभा में आज पेश होने वाले वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर माना जा रहा है कि इसका पारित होना तय है. वहीं राज्यसभा में भी इस बिल के पारित हो सकता है. इसके पीछे के संख्याबल को देखें तो बिल के पारित होने में कोई परेशानी नजर नहीं आती है, बशर्ते कि एनडीए के सहयोगी दल एकजुट रहें. आइए जानते हैं संसद का गणित.
- लोकसभा में एनडीए के पास 293 सांसद हैं.
- यहां बहुमत के लिए 272 सांसद चाहिए.
- राज्यसभा में एनडीए के पास 119 सांसद हैं.
- बहुमत के लिए 118 सांसदों का समर्थन चाहिए.
- बीजेडी, बीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस के स्टैंड का पता नहीं है.
विपक्षी सांसदों के बयानों से लगता है कि वे भी मानकर चल रहे हैं कि संसद में इस विधेयक को रोकना उनके लिए संभव नहीं है. यही कारण है कि वे अब अदालत का रुख करने का फैसला कर चुके हैं. कांग्रेस सांसद और जेपीसी के सदस्य इमरान मसूद ने ऐलान किया है कि बिल पारित होने के बादा इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी.
8 अगस्त को पहली बार किया था पेशसंसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने आठ अगस्त 2024 को यह बिल लोकसभा में पेश किया था. उस वक्त बिल को लेकर जमकर हंगामा हुआ था. इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था. जेपीसी का अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल को बनाया गया. इस समिति ने एनडीए के घटक दलों की ओर से पेश 14 संशोधनों के साथ अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की थी. वहीं विपक्ष की ओर पेश 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया. जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर संशोधित बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
वक्फ संशोधन विधेयक का क्या है उद्देश्य- वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है कि वर्ष 2013 में अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए थे. इसमें कहा गया है, संशोधनों के बावजूद यह देखा गया है कि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमणों को हटाने, वक्फ की परिभाषा सहित संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अधिनियम में अब भी और सुधार की आवश्यकता है.
- इसमें कहा गया है कि 2013 में अधिनियम में संशोधन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और वक्फ और केंद्रीय वक्फ परिषद पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर और अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद किया गया था.
- विधेयक 2024 का एक प्रमुख उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करना है.
- वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य स्पष्ट रूप से वक्फ को किसी भी व्यक्ति द्वारा कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने और ऐसी संपत्ति का स्वामित्व रखने के रूप में परिभाषित करना है, और यह सुनिश्चित करना है कि वक्फ-अलल-औलाद के निर्माण से महिलाओं को विरासत के अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा.
- विधेयक के अन्य उद्देश्यों में शामिल हैं, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ से संबंधित प्रावधानों को हटाना; सर्वेक्षण आयुक्त के कार्यों को कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा विधिवत नामित डिप्टी कलेक्टर के पद से नीचे के किसी भी अधिकारी को सौंपना; केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक संरचना प्रदान करना और मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना और बोहरा और अघाखानियों के लिए अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का प्रावधान करना.
- वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। संशोधन विधेयक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार करना चाहता है.
- इसका उद्देश्य अधिनियम की कमियों को दूर करना और पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार तथा वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ाने जैसे बदलाव लाकर वक्फ बोर्डों की दक्षता बढ़ाना है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंगलवार को भाजपा के सहयोगी दलों समेत सभी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों और सांसदों से अपील की कि वे वक्फ विधेयक का कड़ा विरोध करें और किसी भी हालत में इसके पक्ष में मतदान न करें.
एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान में कहा कि यह विधेयक न केवल भेदभाव और अन्याय पर आधारित है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के तहत मौलिक अधिकारों के प्रावधानों के भी खिलाफ है. उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक के जरिए भाजपा का लक्ष्य वक्फ कानूनों को कमजोर करना और वक्फ संपत्तियों को जब्त करने और नष्ट करने का रास्ता तैयार करना है.
उन्होंने कहा, ‘‘उपासना स्थल अधिनियम के अस्तित्व में होने के बावजूद, हर मस्जिद में मंदिर खोजने का मुद्दा लगातार बढ़ रहा है. यदि यह संशोधन पारित हो जाता है, तो वक्फ संपत्तियों पर सरकारी और गैर-सरकारी नाजायज दावों में वृद्धि होगी, जिससे कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के लिए उन्हें जब्त करना आसान हो जाएगा.
लोकसभा में जमकर हंगामे के आसारविपक्ष ने अपनी रणनीति तय करने के लिए मंगलवार शाम को बैठक की. इसमें इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों के नेता शरीक हुए. आज सुबह कांग्रेस के लोकसभा सदस्यों की भी बैठक बुलाई गई है, जिसे राहुल गांधी संबंधित करेंगे. बिल को लेकर कांग्रेस का कहना है कि पार्टी का जो रुख पहले था वही आज भी है. सदन में इस बिल का विरोध किया जाएगा, क्योंकि इस बिल के माध्यम से एनडीए सरकार की बांटने की कोशिश है. कांग्रेस के सदस्यों ने जेपीसी में जो विचार व्यक्त किए हैं, वही विचार आज भी है. इस बिल को लाकर सिर्फ बांटने का प्रयास किया जा रहा है. भाजपा की सरकार हमेशा ही ऐसा करती है. इसका एक कदम वक्फ संशोधन बिल है. कांग्रेस हमेशा से अल्पसंख्यकों के साथ रही है.
इसके बाद बुधवार को लोकसभा में सत्र हंगामेदार हो सकता है, क्योंकि विपक्षी सदस्य विवादास्पद विधेयक पर जोरदार विरोध करने को तैयार हैं. संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि वक्फ विधेयक पर संभावित टकराव के संकेत मंगलवार को कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में देखने को मिले.

Delhi Me Tourist Ke Saath Scam Viral Video: सोशल मीडिया पर अक्सर विदेशी पर्यटकों से अधिक पैसे वसूलने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. हाल ही में एक ऐसा ही मामला वायरल हुआ है, जहां एक स्ट्रीट फूड विक्रेता ने एक ऑस्ट्रेलियाई पर्यटक से ₹20 के गुलाब जामुन के लिए 200 रुपये चार्ज कर लिए. पहले भी ऐसे वीडियो सामने आते रहे हैं, जिसमें भारत घूमने आने वाले विदेशियों से अक्सर रिक्शा और टुक-टुक वालों पर एक्स्ट्रा पैसा चार्ज करने को लेकर अपनी बात रखते रहते हैं, लेकिन इस बार एक ऑस्ट्रेलियाई टूरिस्ट ल्यूक ने दिल्ली में उसके साथ हुए Scam का लाइव वीडियो रिकॉर्ड कर लिया. अब यही वीडियो जमकर वायरल हो रहा है.
क्या है पूरा मामला? (Gulab Jamun Scam)
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक विदेशी टूरिस्ट दिल्ली के एक स्ट्रीट वेंडर से गुलाब जामुन खरीदता है. जब वह विक्रेता से कीमत पूछता है, तो वो उसे 200 रुपये बताता है, जबकि असल में उसकी कीमत सिर्फ 20 रुपये थी. यह सुनकर पर्यटक चौंक जाता है, लेकिन फिर भी पैसे दे देता है. वीडियो रिकॉर्ड कर इस ठगी को उजागर किया गया है, जिससे मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया. इस वीडियो को इंस्टाग्राम पर lukedamant नाम के अकाउंट से पोस्ट किया गया है. वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा है, इंडिया में इस आदमी से दूर रहें.
यहां देखें वीडियो
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सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं (Delhi Me Tourist Ke Saath Scam)
जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, इंटरनेट पर लोग विक्रेता की आलोचना करने लगे. कुछ यूजर्स ने इसे भारत की छवि खराब करने वाला बताया, जबकि कुछ ने इसे आम समस्या करार दिया और कहा कि पर्यटकों को ऐसे मामलों में सतर्क रहना चाहिए. वीडियो देख चुके एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, मेरी तरफ से सॉरी सर. दूसरे यूजर ने लिखा, भाई अपने देश के लिए मैं माफी मांगता हूं. तीसरे यूजर ने लिखा, मेरी तरह से सॉरी. एक अन्य यूजर ने लिखा, कर्मा लौट के आएगा, एक दिन ऐसा आएगा इसका धंधा बंद हो जाएगा. यह पहली बार नहीं है जब किसी विदेशी पर्यटक को इस तरह ठगा गया हो. दिल्ली के कई पर्यटन स्थलों पर इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं, जहां दुकानदार और ऑटो चालक पर्यटकों से सामान्य दर से कई गुना अधिक पैसे वसूलने की कोशिश करते रहते हैं.
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मान लीजिए आप हफ़्तों और महीनों की मेहनत से कोई पेंटिंग बनाएं. उसे बनाते हुए अपनी सारी कला, सारे जज़्बात उसमें उतार दें और उधर कोई दूसरा किसी मशीन का इस्तेमाल कर उसे पल भर में बना दे. आप निराश होंगे या नहीं. क्या उथल पुथल होगी आपके मन के भीतर. आपके भीतर के कलाकार की क्या हालत होगी. दुनिया में आजकल ऐसा ही हो रहा है, जब से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दौर आया है, कला और कलाकारों को इसकी सबसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. सवाल है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए कुछ ही पलों में जब सब कुछ तैयार हो जाए तो कला शैली के क्या मायने रह जाएंगे. इसमें जो इंसानी भावों और स्पर्श का महत्व होता है, वो तो ख़त्म ही हो जाएगा.
जापान के प्रतिष्ठित Studio Ghibli की 2013 में रिलीज़ हुई फिल्म The Wind Rises का एक छोटा सा सीन है. फिल्म में ग्रेट कांटो भूकंप के बाद सड़कों पर अफ़रातफ़री को दिखाते सीन में लगता है कि हर व्यक्ति का कोई मक़सद है. वो डरा या सहमा हुआ कहीं भाग रहा है. किसी न किसी तरह व्यस्त दिख रहा है. 4 सेकंड का ये सीन असलियत के काफ़ी क़रीब लगता है. आप हैरान होंगे ये जानकर कि चार सेकंड के इस ऐनिमेशन को बनाने में आर्टिस्ट ईजी यामामोरी को एक साल तीन महीने लग गए. इसके हर फ्रेम को पूरी तरह हाथ से बनाया गया. हर चेहरे के भाव को स्पष्टता से उकेरा गया और फिर इसे ऐनिमेट किया गया. इस काम में बहुत धैर्य और समय लगता है. दरअसल Studio Ghibli के डायरेक्टर हायो मियाज़ाकी इस बात पर अडिग थे कि इस सीन को पूरी तरह हाथ से बनाया जाए. इसीलिए सिर्फ़ इस सीन को तैयार करने में Studio Ghibli की टीम को सवा साल लग गए.
लेकिन अगर अब ये सब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए कुछ ही पलों में बनने लग जाए तो फिर इस कला शैली के क्या मायने रह जाएंगे. इसमें जो इंसानी भावों और स्पर्श का महत्व होता है, वो तो ख़त्म ही हो जाएगा. वैसे ही जैसे पावरलूम के कपड़ों के साथ कोई भाव नहीं जुड़ा होता, लेकिन हैंडलूम पहनते वक्त आपको अहसास होता है कि किसी ने काफ़ी मेहनत के साथ इस कपड़े, इस शॉल को लंबे समय में तैयार किया है. उसका जज़्बा, उसके भाव उस कपड़े के तंतुओं में घुले मिले होते हैं या फिर एक और उदाहरण लें. पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग का. आप उसे ख़रीदते हैं तो आपको पता होता है कि ये किसी की मेहनत, किसी की कला का नमूना है, लेकिन उसकी शैली को कॉपी कर AI उसे पलक झपकते ही बनाने लगे तो आप वैसी कृति को कितना महत्व देंगे. शुरू में कुछ आश्चर्यचकित होंगे और कुछ समय बाद ये बात आपके लिए सामान्य हो जाएगी, लेकिन मधुबनी पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों को ये बात ज़रूर सालती रहेगी.
आम हो गया Studio Ghibli का स्टाइलबस ऐसा ही एक मुद्दा इन दिनों दुनिया भर में काफ़ी सुर्ख़ियों में है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र की नामी कंपनी OpenAI का चैटबॉट ChatGPT जो आए दिन कमाल कर रहा है, उसका ताज़ा कमाल जितना सराहा जा रहा है उतना ही विवादों में भी फंस गया है. 26 मार्च को OpenAI ने अपने ChatGPT - 4o के AI image generation में अपडेट का एलान किया जिससे उसमें अलग-अलग स्टाइल्स को या कला शैलियों को कॉपी करने की क्षमता आ गई. इसके बाद तो लोगों ने ChatGPT के सामने अलग अलग शैलियों को कॉपी करने के कमांड देने शुरू कर दिए और इसमें सबसे ज़्यादा छा गया जापान के मशहूर Studio Ghibli का स्टाइल जो अपनी सुंदर, प्यारी, खुशनुमा तस्वीरों की शैली के लिए जाना जाता है. सोशल मीडिया पर सक्रिय करोड़ों लोगों ने अपनी और अपनों की तस्वीरें Studio Ghibli स्टाइल में बनवानी शुरू कर दीं. Studio Ghibli स्टाइल पोर्ट्रेट से सोशल मीडिया भर गया. किसी ने उन्हें अपना प्रोफाइल पिक बना दिया, किसी ने अपनी नई पोस्ट बना दिया. लाइक्स और शेयर्स की बाढ़ आ गई. इसे गिबलिफिकेशन एक्सपेरिमेंट भी कहा जा रहा है. ख़ुद OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने सोशल मीडिया X पर अपनी प्रोफ़ाइल तस्वीर के तौर पर अपनी गिबली इमेज लगा दी. सोशल मीडिया पर सक्रिय आम और ख़ास लोगों ने इस क़दर इसका इस्तेमाल किया कि OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन को लॉन्च के अगले ही दिन कहना पड़ गया कि उनके सिस्टम पर बोझ बहुत ज़्यादा बढ़ गया है.
ऑल्टमैन ने लिखा कि ये बहुत अच्छा है कि लोग ChatGPT की तस्वीरों को पसंद कर रहे हैं, लेकिन हमारे GPU पिघल रहे हैं यानी ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स पर बोझ बहुत बढ़ गया है, वो गर्म हो रही हैं. इसीलिए जब तक हम जल्द ही इसे और क्षमतावान बना पाते हैं तब तक अस्थायी तौर पर कुछ रेट लिमिट लगा रहे हैं. ChatGPT के मुफ़्त संस्करण में प्रति दिन एक एड्रेस से तीन इमेज ही जनरेट हो पाएंगी.
इसके कुछ ही दिन के अंदर अब सैम ऑल्टमैन ने ये एलान कर दिया है कि ChatGPT इमेज जनरेशन को सभी फ्री यूज़र्स के लिए खोल दिया गया है. इसका साफ़ मतलब है कि Open AI ने अपने चैट जीपीटी की क्षमता को बड़ी तेज़ी से बढ़ा दिया है.
अभी बड़ा सवाल ये है कि AI की अद्भुत क्षमता अगर कला शैलियों की हूबहू नकल करने लगेगी या उसी कला शैली में कुछ नया बनाने लगेगी तो इंसान की उस प्रतिभा का क्या होगा जो उसे नैसर्गिक तौर पर हासिल होती है और जिसे मेहनत कर वो संवारता है, अपने अनुभवों को उसमें उतारता है और कुछ नया सृजन करता है. Studio Ghibli के बहाने ये सवाल गहरा गया है.
Studio Ghibli की स्थापना 1985 में फिल्मकार हायो मियाज़ाकी, इसाओ ताकाहाता और तोशियो सुज़ुकी ने की थी. जापान का ये सबसे प्रतिष्ठित एनिमेशन स्टूडियो रहा है, जिसकी ख़ासियत हाथ से बने एनिमेशन, तस्वीरों या पात्रों की अद्भुत भाव भंगिमाएं, बहुत ही बारीकी से रची गई पृष्ठभूमि और कहानी कहने का बेहद दिलचस्प तरीका है. Studio Ghibli का ये अद्भुत सौंदर्य बोध बीते चार दशकों से लोगों को लुभाता रहा है. ये anime art एक तरह का खुशनुमा माहौल बनाती है, एक तरह की ज़िंदादिली दिखाती है. अगर तनाव भरे चेहरों को भी दिखाया गया हो तो वो आंखों और ज़ेहन पर भारी नहीं पड़ते. इस एनिमे आर्ट में इस्तेमाल रंगों में अलग सी ऊष्मा महसूस होती है, उसके स्केच उसे अलग बनाते हैं. यही वजह है कि Studio Ghibli की इमेज देखते ही पहचानी जाती है और अगर किसी ख़ूबसूरत कहानी में उन्हें पिरो दिया जाता है तो वो अपने आप में एक अद्भुत कृति की तरह सामने आती है. यही Studio Ghibli इफेक्ट है, जिसे ChatGPT के नए संस्करण से धक्का लगा है.
क्या ये कला की चोरी नहीं है?कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये कला की चोरी नहीं है. क्या ये कलाकारों से उनके हक़ को छीनना नहीं है. उनकी प्रतिभा के साथ अन्याय नहीं है. क्या ये बौद्धिक संपदा अधिकारों को दूसरे तरीके से हथियाना नहीं माना जाएगा. क्या इसके लिए ChatGPT को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. क्या हम सभी लोगों को जिन्होंने भी ChatGPT से गिबली स्टाइल में इमेज बनवाई हैं, इस अपराध के लिए ज़िम्मेदार नहीं हो गए हैं. ऐसे तमाम सवाल हैं जो कलाकारों की दुनिया में लगातार उठ रहे हैं. इस बीच ChatGPT द्वारा बनाई जा रही इन तस्वीरों पर अभी तक Studio Ghibli के संस्थापक हायो मियाज़ाकी की प्रतिक्रिया नहीं आई है, अलबत्ता उनके करोड़ों प्रशंसक ज़रूर नाराज़ हैं, लेकिन AI आर्ट को लेकर मियाज़ाकी की एक पुरानी प्रतिक्रिया का काफ़ी ज़िक्र हो रहा है.
And yet you leave out a full minute of context, showing that Miyazaki was disgusted by a completely different technology made to generate grotesque body horror. From 8 years ago. https://t.co/HjvW57a1mS pic.twitter.com/oCl8EwkyOp
— Minh Nhat Nguyen (@menhguin) March 27, 2025क़रीब दशक भर पहले 2016 में हायो मियाज़ाकी को AI द्वारा बनाया गया एक वीडियो दिखाया गया था जिसमें एक अजीब सा अधबना प्राणी दर्द से कराहता ज़मीन पर रेंग रहा था. मियाज़ाकी से इस वीडियो पर उनकी राय पूछी गई तो मियाज़ाकी ने कहा कि ये जीवन का अपमान है, जिसने भी ये बनाया है उसे नहीं पता कि दर्द क्या होता है. मैं पूरी तरह निराश हूं. अगर आप ऐसी अजीब चीज़ बनाना चाहते हैं तो बना सकते हैं. मैं इस टैक्नोलॉजी को कभी अपने काम में शामिल नहीं करूंगा. मैं ठोस तौर पर महसूस करता हूं कि ये ख़ुद जीवन का ही अपमान है.
उम्मीद करनी चाहिए कला में AI के ऐसे इस्तेमाल को लेकर Studio Ghibli के संस्थापक हायो मियाज़ाकी की राय में इससे अंतर नहीं आया होगा और अब जब उनके स्टूडियो की ख़ास स्टाइल को AI धड़ल्ले से कॉपी कर रहा है तो उनके प्रशंसक भी इससे खुश नहीं हैं. हालांकि चैटजीपीटी की ओर से पिछले मंगलवार को पेश एक टैक्निकल पेपर में कहा गया था कि नया AI टूल व्यक्तिगत कलाकारों की शैली को कॉपी करने में थोड़ा रूढ़ीवादी दृष्टिकोण रखेगा. अगर कोई यूज़र किसी जीवित कलाकार की स्टाइल में इमेज जनरेट करने को कहेगा तो उससे इनकार कर दिया जाएगा, लेकिन स्टूडियो स्टाइल्स को मोटे तौर पर कॉपी करने की इजाज़त बनी रहेगी.
दरअसल किसी कलाकृति को बनाना अपने आप में एक साधना है. कलाकार अपने सारे अनुभवों और भावों को पूरी सूक्ष्मता के साथ कैनवस पर उकेर देता है. अपने पात्रों की हर भाव भंगिमा को बारीकी के साथ उतार देता है. रंगों और स्ट्रोक्स से अपनी पेंटिंग में जीवन भर देता है, लेकिन मशीनी सोच से भरी दुनिया में शायद इन भावों की अहमियत खोती जा रही है. ओपनएआई के प्रमुख सैम ऑल्टमैन ने अब एलान कर दिया है चैट जीपीटी के इस फीचर को यूज़र्स के लिए फ्री कर दिया गया है जो अब तक प्रीमियम यूज़र्स के लिए उपलब्ध थी. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी AI सिस्टम के अंदर किसी ख़ास शैली को तैयार करने की क्षमता आई हो लेकिन ChaptGPT का नया अपडेट इसे नई ऊंचाइयों पर ले गया. बहुत ही आसान तरीके से वो कला शैली को हूबहू कॉपी करने में सक्षम हो गया.
एआई सीख सकता है, इमोशन पैदा नहीं कर सकता: शाहइस पूरे मुद्दे पर हमने फोटोग्राफ़र, ग्राफिक डिज़ाइनर और फिल्म मेकर पार्थिव शाह से बात की. उन्होंने कहा कि यह हमारे बौद्धिक अधिकारों का हनन है, क्योंकि साधारत तौर पर हमें इसके लिए अनुमति देनी होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पेंटिंग्स की शैली को कंप्यूटर को सिखाया जाए तो वो तो सीख लेगा. किसी को ज्यादा वक्त लगेगा किसी को कम वक्त लगेगा वो सीख तो लेगा लेकिन मेरा मानना है कि उसके लिए अनुमति लेनी जरूरी है.
शाह ने कहा कि इंसान ही मशीन को सिखाएंगे. मशीनें थोड़ा सा तेज कर लेती हैं और ज्यादा बेहतर है, लेकिन आप अपना चेहरा देखें या मेरी अंगुलिया देंखे तो वो सारी अलग-अलग होती हैं. मेरे दोनों कान अलग हैं, मेरी दोनों आंखें अलग हैं. कंप्यूटर सीधा कर देगा स्ट्रेट कर देगा उससे कोई मजा नहीं आएगा. वो परफेक्ट किसके लिए है, वो मेरे लिए तो परफेक्ट नहीं है.
उन्होंने कहा कि एआई सीख तो लेता है, लेकिन ह्यूमन इमोशन को पैदा नहीं कर सकता है. मुझे इसमें एक ही परेशानी लग रही है कि हम जब ग्रोक में या चैट जीपीटी में अपना फोटोग्राफ अपलोड करते हैं तो हम उसका राइट दे देते हैं. उन्होंने कहा कि जब मैं अपने परिवार का फोटो लगा देता हूं तो वो उनका राइट हो जाता है, वो उसको यूज कर सकते हैं. हम सारे लोग अपलोड करके उन्हें पूरा राइट दे रहे हैं. यह बहुत ही खतरनाक है.
उन्होंने कहा कि कला के मायने ही ये है कि एक इंसान जब कोई कलाकृति बनाता है, कोई कविता लिखता है या कोई उपन्यास लिखता है या कोई चित्र या स्कल्पचर बनाता है तो उसकी उस समय की मनस्थिति क्या है? उसके आसपास क्या हो रहा है? उससे प्रेरणा लेकर या उससे परेशान या उससे हताश होकर के उसमें से कुछ निकलता है. कोई भी पौधा जमीन से निकलता है तो जमीन को फटना पड़ता है. यह चीज सिर्फ इंसान में होती है और वो ही क्रिएट कर सकता है. अभी समय लगेगा कि एआई को कि वह अपने आप कुछ चीजें क्रिएट कर सके. हमें एक स्तर पर घबराना नहीं चाहिए. हालांकि हम लोग इतना प्रभावित हो गए हैं कि हमने इसे यूज करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि हमें बहुत ही सोचे-समझे तरीके से इसका यूज करना होगा.
फिलहाल तथ्य ये है कि लोग भर भरकर अपनी और अपनों की अलग अलग तस्वीरें इसके बाद इन AI chatbot के हवाले कर रहे हैं और इसे लेकर ही कई जानकार ख़ासतौर पर डिजिटल प्राइवेसी की दिशा में काम कर रहे लोग सतर्क भी कर रहे हैं. उनका दावा है कि इस तरह से ये एआई चैटबॉट अपने एआई की ट्रेनिंग के लिए करोड़ों व्यक्तिगत इमेज हासिल कर रहे हैं. लोगों को मज़ा तो आ रहा है लेकिन उन्हें ये अहसास नहीं है कि वो अपना नया फेशियल डेटा ओपन एआई या ग्रोक 3 को सौंप रहे हैं जो निजता से जुड़ी एक गंभीर चिंता खड़ी करता है.
इसी दिशा में काम करने वाली एक हस्ती लुइज़ा जारोवस्की जो एआई, टेक एंड प्राइवेसी अकेडमी की सह-संस्थापक हैं वो लिखती हैं कि अधिकतर लोगों ने ये अहसास नहीं किया है कि गिबली इफेक्ट न सिर्फ़ एक AI कॉपीराइट विवाद है बल्कि ये हज़ारों लोगों की नई व्यक्तिगत तस्वीरें पाने की OpenAI की पब्लिक रिलेशंस ट्रिक भी है. हज़ारों लोग ख़ुद ही अपनी व्यक्तिगत तस्वीरें और चेहरे चैटजीपीटी पर अपलोड कर रहे हैं. इससे OpenAI को अपने AI मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए हज़ारों नए चेहरे मुफ़्त और आसानी में उपलब्ध हो रहे हैं.
अब ये सवाल भी उठ रहा है कि जब AI किसी भी चीज़ की कॉपी कर सकता है तो कॉपीराइट के मुद्दे का क्या होगा. क्या ये माना जाए कि कॉपीराइट का दौर ख़त्म हो गया या फिर इस नई चुनौती से निपटने के लिए कुछ नया किया जाएगा. AI की ऐसी तमाम क्षमताएं दरअसल ये सवाल खड़ा कर रही हैं कि क्या वो समय आने वाला है जब कई काम, कई नौकरियां AI की भेंट चढ़ जाएंगी. लाखों लोग इसका शिकार बनेंगे. क्या इसी बहाने AI की ऐसी तमाम क्षमताओं की समीक्षा नहीं होनी चाहिए. क्या कोई रेड लाइन, कोई सीमा तय नहीं की जानी चाहिए. ये बहस आने वाले दिनों में और तेज़ होगी.

Fake Scars For Sick Leave Video Is Viral: सोशल मीडिया पर हर दिन कोई न कोई नया ट्रेंड वायरल होता रहता है, लेकिन कुछ ट्रेंड ऐसे होते हैं जो विवादों को जन्म देते हैं. हाल ही में एक ऐसा ही चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आया है. दरअसल, इन दिनों पुणे की एक मेकअप आर्टिस्ट का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि काम के बहाने के लिए दुर्घटना के निशान कैसे बनाए जाते हैं. इस वीडियो ने ऑनलाइन बहस को हवा दे दी है, जिसमें दर्शकों ने उन पर अनैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है.
विवाद क्यों हो रहा है?
मेकअप आर्टिस्ट प्रीतम जुजर (Pritam Juzar Kothawala) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर वीडियो शेयर किए हैं और उन्हें मनोरंजन के लिए बनाए गए हानिरहित नाटक बताया. पहले वीडियो में, उन्होंने दिखाया कि कैसे दुर्घटना का बहाना बनाने के लिए यथार्थवादी दिखने वाले निशान बनाए जाते हैं और कैप्शन में लिखा, आईटी प्रबंधकों को सलाह दी जाती है कि वे यह वीडियो न देखें. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सामग्री केवल मनोरंजन के लिए है और इसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए. वीडियो में उन्होंने कहा, यह वीडियो विशेष रूप से आईटी पेशेवरों के लिए है, जिन्हें छुट्टी पाने में कठिनाई होती है, दर्शकों को इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्हें अपने बॉस से इसे छिपाने की सलाह दी.
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यह मेरा जुगाड़ है...
वीडियो के वायरल होने के बाद, दर्शकों ने पूछा कि नकली चोट के बाद काम पर वापस लौटने पर भ्रम को कैसे बनाए रखा जाए. एक फॉलो-अप वीडियो में प्रीतम जुजर ने दिखाया कि कैसे कृत्रिम निशानों को फिर से ताज़ा किया जाए, ताकि वे विश्वसनीय दिखें. उन्होंने मेकअप को फिर से लगाने का तरीका बताते हुए कहा, यह मेरा जुगाड़ है जब आपकी छुट्टी खत्म हो जाएगी.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
एंटरटेनमेंट के उद्देश्य से बनाए गए इस वीडियो की ऑनलाइन खूब आलोचना हो रही है. कई सोशल मीडिया यूजर्स ने उन पर कार्यस्थल पर बेईमानी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई, जिसमें यूजर्स ने वीडियो को गैर-जिम्मेदाराना बताया. एक यूजर ने लिखा, क्षमा करें, लेकिन यह मज़ेदार नहीं है. यह बहुत घटिया और अनैतिक है. एक अन्य यूजर ने लिखा, यह मज़ेदार नहीं है. यह कार्यस्थल पर बेईमानी को बढ़ावा देते हुए एक खतरनाक मिसाल कायम करता है. तीसरे यूजर ने लिखा, यह कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच विश्वास को कम करने का एक शर्मनाक प्रयास है. कुछ यूजर्स ने इस ट्रेंड को नैतिकता का पतन करार दिया, वहीं कुछ ने इसे केवल मजाक समझकर नजरअंदाज किया. इंस्टाग्राम पर #FakeSickLeave ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग इस पर अपनी राय दे रहे हैं.
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Mahakumbh Viral Girl Monalisa Video: अपनी खूबसूरत आंखों के लिए जानें जाने वाली वायरल गर्ल मोनालिसा अब अपनी अदाओं और एक्सप्रेशंस से सबको दीवाना बना रही हैं. इन दिनों मोनालिसा सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही हैं. हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह बॉलीवुड गाने पर लिप-सिंक करती नजर आ रही हैं. उनके एक्सप्रेशंस और आंखों के इशारे लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं, जिससे वह इंटरनेट सेंसेशन बन गई हैं. देखा जाए तो ट्रेंड में बने रहने के लिए आजकल मोनालिसा आए दिन बॉलीवुड गानों पर Reel बनाती हुई अपनी आंखों के मूवमेंट का खास ख्याल रखती है.
यहां देखें वीडियो
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सोशल मीडिया पर छाया वीडियो (Mahakumbh Viral Girl Monalisa New Reel)
मोनालिसा का यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह उदित नारायण और साधना सरगम के फेमस गाने पर जबरदस्त रील बनाती नजर आ रही हैं. 1991 में आई फिल्म जो जीता वही सिकंदर का यह गाना आमिर खान और आयशा जुल्का पर फिल्माया गया था, जिस पर इन दिनों मोनालिसा लिप्सिंग करते हुए गाने की तर्ज पर एक्टिंग भी कर रही हैं.
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वीडियो में मोनालिसा बॉलीवुड गाने पर लिप-सिंक कर रही हैं और उनके एक्सप्रेशंस इतने कमाल के हैं कि लोग उनकी तुलना बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेस से करने लगे हैं. इंटरनेट यूजर्स ने इस वीडियो को खूब पसंद किया है और कमेंट सेक्शन में उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं. किसी ने उन्हें न्यू इंटरनेट सेंसेशन कहा, तो किसी ने उनकी तुलना प्रिया प्रकाश वारियर से कर दी, जो अपनी आंखों के इशारों के लिए वायरल हुई थीं. इस दूसरे वीडियो में मोनालिसा आज दिन चढ़ेया गाने पर पुराने अंदाज में फर्श पर बैठकर रील बना रही हैं.
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एक्सप्रेशंस के दीवाने हुए लोग (Monalisa viral video)
महाकुंभ से वायरल हुई मोनालिसा ने अपनी आंखों के इशारों और बेहतरीन एक्सप्रेशंस से लाखों दिल जीत लिए हैं. उनके वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है और लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेफॉर्म इंस्टग्राम पर अपनी 6 तस्वीरों का कोलाज भी शेयर किया है, जिस पर यूजर्स बढ़चढ़ कर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.
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म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई, जिसके प्रभाव से पड़ोसी देशों में भी झटके महसूस किए गए. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी अत्याधुनिक अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 की मदद से इस आपदा से हुए नुकसान की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों में म्यांमार के मांडले और सगाइंग शहरों में ढह गई इमारतों, सड़कों और ऐतिहासिक स्थलों का मंजर साफ दिखाई दे रहा है.
कार्टोसैट-3 ने खींचीं हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें
इसरो की कार्टोसैट-3 सैटेलाइट, जिसे 2019 में लॉन्च किया गया था, 50 सेंटीमीटर से भी कम रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है. इस सैटेलाइट ने 500 किलोमीटर की ऊंचाई से म्यांमार के प्रभावित इलाकों की तस्वीरें खींचीं. इनमें इरावदी नदी पर बना विशाल अवा (इनवा) पुल ढहने की तस्वीरें शामिल हैं. इसके अलावा, मांडले विश्वविद्यालय और अनंदा पगोडा को हुए नुकसान को भी चित्रों में देखा जा सकता है. इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने बताया कि ये तस्वीरें शनिवार को ली गईं, जबकि 18 मार्च को ली गई तस्वीरों से तुलना कर नुकसान का आकलन किया गया.
मांडले और सगाइंग में भारी क्षति
7.7 तीव्रता का यह भूकंप म्यांमार के सगाइंग-मांडले सीमा के पास 10 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था. इसके बाद 6.4 तीव्रता का एक जोरदार झटका भी आया. मांडले, जो म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, में भारी नुकसान दर्ज किया गया. राजधानी नेप्यीडॉ सहित अन्य इलाकों में भी इमारतें, सड़कें और बुनियादी ढांचे ध्वस्त हो गए. भूकंप के झटके थाईलैंड के चियांग माई और उत्तरी हिस्सों तक महसूस किए गए, जहां कुछ जगहों पर नुकसान की खबरें हैं.
तस्वीरों में मांडले के प्रमुख स्थलों जैसे स्काई विला, फायानी पगोडा, महामुनि पगोडा, अनंदा पगोडा और मांडले विश्वविद्यालय को या तो पूरी तरह ढहते हुए या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त देखा गया. सगाइंग शहर में मा शी खाना पगोडा, कई मठों और अन्य इमारतों को भी नुकसान पहुंचा.
ऐतिहासिक अवा पुल ढहा, नदी के मैदानों में दरारें
सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि भूकंप के कारण इरावदी नदी पर बना ऐतिहासिक अवा (इनवा) पुल पूरी तरह ढह गया. यह पुल इनवा शहर के पास स्थित था. इसके अलावा, इरावदी नदी के बाढ़ प्रभावित मैदानों में दरारें और मिट्टी के (लिक्विफेक्शन) के निशान भी देखे गए.
क्यों आया भूकंप?
इसरो के आकलन के अनुसार, म्यांमार भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के सीमा के पास स्थित है, जहां भारतीय प्लेट हर साल करीब 5 सेंटीमीटर की रफ्तार से यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही है. इसके अलावा, म्यांमार में सगाइंग फॉल्ट जैसी कई छोटी सक्रिय फॉल्ट लाइनें भी हैं. यह फॉल्ट मध्य म्यांमार से होकर गुजरती है और दोनों प्लेटों के बीच पार्श्व गति को संतुलित करती है. इसरो का मानना है कि शुक्रवार का भूकंप सगाइंग फॉल्ट या इसके सहायक फॉल्ट्स पर जमा तनाव के निकलने के कारण आया.
भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ
भूकंप के बाद भारत उन पहले देशों में शामिल था, जिन्होंने म्यांमार को सहायता पहुंचाई. भारतीय बचाव दल और राहत सामग्री तुरंत प्रभावित क्षेत्रों के लिए रवाना की गई. यह घटना म्यांमार के लिए एक बड़ी प्राकृतिक आपदा साबित हुई है, जिसके प्रभावों से उबरने में लंबा वक्त लग सकता है. इसरो की कार्टोसैट-3 सैटेलाइट ने एक बार फिर अपनी तकनीकी क्षमता को साबित किया है.

सोचिए, अगर किसी का एक्सीडेंट हो गया... चोट लगी, हॉस्पिटल में भर्ती हुए, इलाज कराया, अच्छा हुआ कि पहले से मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी तो हॉस्पिटल का खर्चा वहीं से कवर हो गया, लेकिन जब इंश्योरेंस कंपनी से जब एक्सीडेंट क्लेम मांगा तो उन्होंने कहा- ‘अरे भाई, तुम्हें तो पहले ही मेडिक्लेम से पैसे मिल चुके हैं. अब हमसे और क्या चाहिए? अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई ऐसा होना चाहिए? क्या इंश्योरेंस कंपनी सही कह रही है? बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पर बड़ा फैसला दिया है और ये सिर्फ कानून का मामला नहीं है, बल्कि आपके हक से जुड़ा मुद्दा है. इस फैसले से उन लाखों लोगों को राहत मिलेगी, जो अपनी जेब से इंश्योरेंस का प्रीमियम भरते हैं और मुश्किल वक्त में दोबारा ठगे जाने की कगार पर खड़े होते हैं. तो चलिए इस पूरे मामले को आसान भाषा में और पूरी गहराई से समझते हैं.
क्या है पूरा मामला?ये केस New India Assurance Company बनाम एक क्लेमेंट के बीच का था। मामला इस तरह था.
बॉम्बे हाईकोर्ट की फुल बेंच ने इस पर ऐतिहासिक फैसला दिया और बीमा कंपनी की बात को गलत ठहराया. कोर्ट ने कहा कि मेडिक्लेम पॉलिसी से मिला पैसा और मोटर एक्सीडेंट क्लेम, दोनों अलग-अलग चीजें हैं. मेडिक्लेम का पैसा व्यक्ति को इसलिए मिलता है, क्योंकि उसने पहले से बीमा कंपनी से एक कॉन्ट्रैक्ट किया था और उसका प्रीमियम भरा था इसलिए इंश्योरेंस कंपनी को यह हक नहीं कि वो मेडिक्लेम से मिले पैसे को एक्सीडेंट क्लेम से घटा दे. हाईकोर्ट ने साफ-साफ कहा कि अगर किसी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए मेडिक्लेम पॉलिसी ली है और उसका फायदा उठाया है तो इसका मतलब ये नहीं कि एक्सीडेंट क्लेम काट लिया जाए. ये उसका हक है और बीमा कंपनियां इसका फायदा नहीं उठा सकतीं.
पुराने फैसले क्या कहते हैं?यह मामला कई सालों से उलझा हुआ था, क्योंकि अलग-अलग अदालतों के फैसले अलग-अलग थे.कुछ मामलों में ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने बीमा कंपनियों का पक्ष लिया था.वहीं कुछ फैसलों में कहा गया था कि क्लेमेंट को पूरा मुआवजा मिलना चाहिए, चाहे उसे मेडिक्लेम मिला हो या नहीं इसलिए ये मामला बॉम्बे हाईकोर्ट की फुल बेंच के पास भेजा गया, ताकि इस पर एक फाइनल फैसला हो सके.
बीमा कंपनियों की चालाकी कैसे पकड़ी गई?इंश्योरेंस कंपनियां अक्सर ऐसे मामलों में डबल कंपन्सेशन की दलील देकर पैसा बचाने की कोशिश करती हैं, लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि मेडिक्लेम पॉलिसी एक निजी अनुबंध (contract) है, जो व्यक्ति और बीमा कंपनी के बीच हुआ था. मोटर एक्सीडेंट क्लेम मोटर व्हीकल्स एक्ट के तहत एक कानूनी अधिकार है. अगर बीमा कंपनियां ऐसा करने लगीं, तो इससे उन्हें अनुचित लाभ मिलेगा, जो कानून के खिलाफ है.
क्लेम करते समय किन बातों का ध्यान रखें?अगर आपको कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े, तो इन 3 बातों को हमेशा याद रखें:-
अगर ये फैसला नहीं आता, तो बीमा कंपनियां इसी बहाने से लाखों लोगों के एक्सीडेंट क्लेम काट सकती थीं। लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया कि :-

Chirag Paswan family row: दिवंगत रामविलास पासवान के परिवार में एक बार फिर विवाद हो गया है. इससे पहले पुत्र चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच सियासी लड़ाई चर्चा में रही है. अब पारिवारिक संपत्ति विवाद सामने आया है. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की बड़ी मां यानी स्वर्गीय रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी ने आरोप लगाया है कि उनके कमरों में ताला लगा दिया गया. उन्होंने रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस और रामचंद्र पासवान की पत्नी पर घर से निकालने का आरोप लगाया है. खगड़िया के अलौली प्रखंड के शहरबन्नी स्थित घर में ताला लगाने का मामला केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के पास भी पहुंच गया है. इधर, चिराग पासवान ने पार्टी के प्रधान महासचिव संजय पासवान तथा भांजे सह छात्र लोजपा रामविलास बिहार प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस मृणाल को शहरबन्नी भेजा है. इस मामले में हालांकि कोई प्राथमिकी किसी थाने में दर्ज नहीं कराई गई है.
रामविलास पासवान ने की दो शादियांस्वर्गीय रामविलास पासवान ने दो शादियां की थीं. उनकी पहली शादी राजकुमारी देवी से हुई थी जबकि उन्होंने दूसरी शादी रीना शर्मा से की थी. बताया गया कि शहरबन्नी के आवास के कुछ कमरों में पशुपति कुमार पारस के परिजनों ने मालिकाना हक जताते हुए ताला लगा दिया. इस मामले के बाद राजकुमारी देवी आहत हैं. राजकुमारी कहती हैं कि इन लोगों ने पहले ही सभी खेत ले लिए हैं.हम एक शब्द नहीं बोले हैं. अब हम बंटवारा चाहते हैं. मेरा जितना है, वह दे दें.
रामविलास को बड़ा भाई कहते थे, अब भाभी मां को घर से निकालाइधर, प्रधान महासचिव संजय पासवान ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पारस अपने भाई रामविलास पासवान को भगवान कहते हैं और भाभी मां को घर से बेघर करवा दिया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि वे बिहार जोड़ने की बात करते हैं, जब आप अपनी भाभी के ही नहीं हुए, तो वे दूसरे को क्या एकजुट करेंगे.
चिराग पासवान की पार्टी के प्रवक्ता का बयानलोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि पार्टी के संस्थापक दिवंगत नेता पद्मभूषण स्वर्गीय रामविलास पासवान जी की पत्नी और राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जी की पूज्य माताजी श्रीमती राजकुमारी देवी जी के साथ उनके पैतृक ग्राम शहर बनी में पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस जी के परिवार के द्वारा सरकारी बॉडीगार्ड के सहारे अकस्मात घरों में तालाबंदी कर घर से बेघर करने की साजिश और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया है, जो बेहद शर्मनाक और निंदनीय है .
पासवान परिवार में इससे पहले भी हो चुका है विवादइससे पहले रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके भाई पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच पार्टी टूटने को लेकर विवाद हुआ था. पुशपति ने पार्टी के सभी सांसदों को तोड़कर अपने साथ मिला लिया था, लेकिन चिराग पासवान दमदार वापसी की और राजनीति में अपनी अहम जगह बनाए हुए हैं.
(इनपुट IANS से भी)

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) प्लेटफॉर्म की सफलता और इसके द्वारा जनित रोजगार के अवसरों पर अपनी बात साझा की. उन्होंने इस प्लेटफार्म के माध्यम से 10 लाख से अधिक कर्मचारियों की भर्ती के आंकड़े को ऐतिहासिक बताया.
पीयूष गोयल ने एक्स पोस्ट में लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस विशाल रोजगार सृजन में सहायक बन रहा है और श्रमिकों की भर्ती के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है. यह प्लेटफॉर्म वित्त वर्ष 2024-25 के अंतर्गत 10 लाख से अधिक कर्मचारियों की भर्ती का महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर चुका है, जो इसकी व्यापक स्वीकृति और सरकारी संगठनों में प्रभाव को दर्शाता है.
Under the leadership of PM @NarendraModi ji, @GeM_India is aiding massive employment generation and transforming workforce procurement.
Congratulations to the platform and its stakeholders on reaching the FY 2024-25 milestone of enabling the hiring of over 1 million workforce,… pic.twitter.com/xeWpO53aZj
उन्होंने कहा कि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म ने कार्यबल भर्ती की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, दक्षता और समावेशिता सुनिश्चित की है. यह श्रमिकों के नियोजन की प्रक्रिया को सरल बना रहा है और श्रम अनुपालन को मजबूत कर रहा है. इसके साथ ही, यह हाइपरलोकल रोजगार सृजन को बढ़ावा दे रहा है, जिससे भारतीय श्रमिकों की शक्ति मजबूत हो रही है और देश की आर्थिक वृद्धि को गति मिल रही है.
पीयूष गोयल ने कहा, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस के प्लेटफॉर्म पर 33,000 से अधिक सेवा प्रदाता कार्यरत हैं, जिनकी मदद से मैनपावर आउटसोर्सिंग सर्विस एक सहज, अनुपालन पूर्ण और लचीली भर्ती प्रक्रिया उपलब्ध करा रही है. यह सेवा कुशल और अकुशल दोनों प्रकार के कर्मियों के लिए उपयुक्त है, जिनमें सुरक्षा कर्मी, हॉर्टीकल्चर कर्मचारी, डेटा एंट्री ऑपरेटर, सुविधा प्रबंधन पेशेवर और अन्य शामिल हैं. मैं भविष्य में उनके लिए ऐसी ही अनेक महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली उपलब्धियों की कामना करता हूं.
पीएम मोदी ने पीयूष गोयल के इस पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म की सफलता को सराहा. उन्होंने लिखा, यह एक सराहनीय उपलब्धि है, जो जीवनयापन में वृद्धि सुनिश्चित कर रही है, देश के गांव-गांव तक रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही है.

कर्नाटक पुलिस ने छह सदस्यीय लुटेरे गिरोह का भंडाफोड़ कर चोरी का 17.7 किलोग्राम सोना बरामद किया है. यह सोना 28 अक्टूबर 2024 को दावणगेरे जिले के न्यामती स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा से चोरी किया गया था. पुलिस ने चोरी का लॉकर तमिलनाडु के मदुरै जिले के उसलमपट्टी कस्बे के एक कुएं से बरामद किया है.
मुख्य आरोपी की पहचान 30 साल के विजय कुमार के रूप में हुई है. डकैती में अजयकुमार (28), अभिषेक (23), चंद्रू (23), मंजूनाथ (32) और परमानंद (30) ने उसकी मदद की थी.
पुलिस ने एक बयान में कहा, विजय कुमार और अजय कुमार भाई हैं, जबकि परमानंद उनकी बहन का पति है. तीनों मूल रूप से तमिलनाडु के हैं, लेकिन कई सालों से न्यामती में मिठाई का कारोबार कर रहे हैं. अन्य तीन आरोपी अभिषेक, चंद्रू और मंजूनाथ न्यामती के हैं
पुलिस ने बताया कि डकैती की जांच में पता चला है कि विजय कुमार पिछले साल अगस्त में 15 लाख रुपये लोन लेने के लिए एसबीआई गया था. उसे पैसों की दिक्कत थी. हालांकि, बैंक ने उसके लोन आवेदन को खारिज कर दिया, इसके बाद उसने पैसा हासिल करने का ये तरीकों सोचा. विजय कुमार ने स्पेनिश क्राइम ड्रामा मनी हाइस्ट से प्रेरणा ली और डकैती की योजना बनाने के लिए छह से नौ महीने तक यूट्यूब वीडियो देखे. इस दौरान वो काफी सावधान रहा.
पुलिस ने बताया कि विजय कुमार ने डकैती के लिए अपने भाई, बहनोई और तीन भरोसेमंद साथियों की मदद ली. उसने और चंद्रू ने बैंक की कई बार रेकी की और रात में सुनसान खेतों में मॉक ड्रिल की, ताकि पुलिस और नागरिकों की आवाजाही और लगने वाले समय का आकलन किया जा सके.
गिरोह ने बैंक लॉकर तोड़ने के लिए साइलेंट हाइड्रोलिक आयरन कटर और गैस-कटिंग टूल जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया. इसके अलावा, खिड़की से घुसना, डीवीआर लेकर भाग जाना और मोबाइल फोन का पूरी तरह से इस्तेमाल न करना, पुलिस को मामले को सुलझाने के लिए सुराग खोजने में मशक्कत करने पर मजबूर कर गया.विजय कुमार ने ऑक्सीजन सिलेंडर से सीरियल नंबर भी मिटा दिए. आरोपियों ने पूरे परिसर में मिर्च पाउडर भी फैला दिया था, जिसमें स्ट्रांग रूम और मैनेजर का केबिन भी शामिल था.
इस बीच, गिरोह ने पहले ही सोना निकालना, व्यवसायों में फिर से निवेश करना और यहां तक कि उन्हें बेचकर पैसे से घर खरीदना शुरू कर दिया था.
पुलिस ने बताया कि नवंबर से फरवरी तक जांच दलों ने आरोपियों को पकड़ने के लिए विभिन्न राज्यों, मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के दुर्गम इलाकों में कई अभियान चलाए.
आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद, पुलिस ने तमिलनाडु भर में, विशेष रूप से मदुरै जिले के उसिलामपट्टी शहर में चोरी की गई वस्तुओं को बरामद करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया. अधिकारियों की एक टीम ने विशेषज्ञ तैराकों की मदद से एक खेत पर 30 फुट गहरे सिंचाई कुएं से लगभग 15 किलोग्राम सोने से भरा एक लॉकर बरामद किया.
पुलिस ने कहा कि विजय कुमार ने संदेह से बचने के लिए कुएं के अंदर लॉकर को छिपाने और दो साल बाद इसे खोलने की योजना बनाई थी. पुलिस ने चोरी किया गया सारा सोना बरामद कर लिया है.
जांच के दौरान पुलिस ने उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के ककराला से जुड़े एक अन्य बैंक डकैती गिरोह का भी भंडाफोड़ किया, जो दक्षिण भारत में कई बैंक डकैतियों को अंजाम दे चुका है. पुलिस ने कहा, ककराला और पड़ोसी शहरों में बैंक डकैतों के लगभग पांच से छह गिरोह हैं जो देश भर में बैंक चोरी और डकैती कर रहे हैं.पुलिस ने बताया कि नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच पुलिस टीमों ने गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कई तलाशी अभियान चलाए. इस दौरान ककराला गिरोह के गुड्डू कालिया, असलम, हजरत अली, कमरुद्दीन और बाबू सहान को गिरफ्तार किया गया.
पूछताछ के दौरान इन अपराधियों के तमिलनाडु और कर्नाटक में अन्य अपराधों में भी संलिप्त होने की जानकारी मिली है.

अमेरिका की एक अदालत ने स्पष्ट किया है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को फरवरी में उनकी वाशिंगटन यात्रा के दौरान कोई अदालती दस्तावेज नहीं दिया गया था. अदालत ने खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के इस दावे को खारिज कर दिया कि शीर्ष भारतीय अधिकारी को समन सहित अन्य अदालती दस्तावेज दिए गए थे.
अमेरिकी जिला न्यायाधीश कैथरीन पोल्क फैला ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘अदालत ने उपरोक्त दस्तावेज और संलग्न सामग्री की समीक्षा की है... और पाया है कि यह संबंधित व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाया था. अदालती दस्तावेज होटल प्रबंधन के किसी सदस्य या स्टाफ या प्रतिवादी को सुरक्षा प्रदान करने वाले किसी अधिकारी या एजेंट को नहीं दिया गया था, जैसा कि अदालत के आदेश के अनुसार आवश्यक है.
पन्नू ने डोभाल और एक अन्य भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के खिलाफ दीवानी मुकदमा दायर किया है. संघीय अभियोजकों ने गुप्ता पर आरोप लगाया है कि उसने अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में भारत के एक सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर काम किया था.
पन्नू ने अदालती दस्तावेजों में दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए 12-13 फरवरी को अमेरिका की यात्रा पर आए थे, तब डोभाल भी उनके साथ वाशिंगटन पहुंचे थे और इस दौरान उन्हें (डोभाल को) अदालती दस्तावेज सौंपने के लिए उसने “दो कानून पेशेवरों और एक जांचकर्ता” को नियुक्त किया था.
पन्नू के मुताबिक, सबसे पहले 12 फरवरी को राष्ट्रपति भवन के अतिथि भवन ‘ब्लेयर हाउस में डोभाल को अदालती दस्तावेज देने का प्रयास किया गया, जहां मोदी और उनका प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन डीसी की यात्रा के दौरान ठहरा था.
पन्नू ने अदालती दस्तावेजों में कहा कि ‘ब्लेयर हाउस के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी, इसके चारों ओर अवरोधक लगाए गए थे और एकमात्र जांच चौकी पर सीक्रेट सर्विस एजेंट पहरा दे रहे थे. उसने कहा कि अदालती दस्तावेज देने पहुंचे व्यक्ति ने इनमें से एक एजेंट से संपर्क किया और बताया कि वह डोभाल को कानूनी दस्तावेज देने के लिए वहां आया है और उसके पास एनएसए को सुरक्षा प्रदान करने वाली सीक्रेट सर्विस के किसी भी सदस्य को दस्तावेज सौंपने की अनुमति वाला अदालती आदेश है.
पन्नू ने अदालती दस्तावेजों में कहा, ‘‘उस व्यक्ति ने सीक्रेट सर्विस एजेंट को अदालती आदेश की एक प्रति दिखाई, लेकिन एजेंट ने कोई भी दस्तावेज लेने से इनकार कर दिया और व्यक्ति से वहां से जाने के लिए कहा.
पन्नू ने कहा कि जिस व्यक्ति को उसने शिकायत देने के लिए नियुक्त किया था, उसे ‘‘डर था कि अगर उसने कोई और हरकत की, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
पन्नू के मुताबिक, अगले दिन 13 फरवरी को एक अन्य व्यक्ति ने ब्लेयर हाउस में डोभाल को दस्तावेज देने का प्रयास किया, लेकिन एक सार्जेंट सहित ‘तीन सीक्रेट सर्विस एजेंट ने उसे ब्लेयर हाउस के बाहर जांच चौकी पर रोक दिया. पन्नू के अनुसार, इसके बाद उस व्यक्ति ने ब्लेयर हाउस के पास एक कॉफी स्टोर में दस्तावेज छोड़ दिया और सीक्रेट सर्विस एजेंट से कहा कि वे उसे उठाकर डोभाल को दे दें.
पन्नू ने दावा किया कि उसने डोभाल को अदालती दस्तावेज देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन अदालत ने उसके दावे को खारिज कर दिया.

बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया थाना क्षेत्र में पुलिस की बर्बरता का एक और मामला सामने आया है. जानकारी के अनुसार, पैसे नहीं देने के कारण पुलिसकर्मियों ने एक ट्रक चालक की बेरहमी से पिटाई कर दी. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और मामले की जांच शुरू कर दी है.
चालक से अवैध रूप से पैसे मांगे
कैमूर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला ने एक गंभीर घटना पर तुरंत कार्रवाई की है. मोहनिया थाना क्षेत्र में चेकिंग के दौरान एक पुलिसकर्मी ने एक ट्रक चालक से अवैध रूप से पैसे मांगे, और जब चालक ने पैसे देने से इनकार किया, तो पुलिसकर्मियों ने उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी. इस घटना को गंभीरता से लेते हुए, पुलिस अधीक्षक ने इसमें शामिल एक पुलिसकर्मी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
आरजेडी ने सरकार पर साधा निशाना
आरजेडी ने वीडियो को शेयर कर सरकार पर हमला बोला है. आरजेडी ने एक्स पोस्ट में लिखा, भाजपा नीतीश का राज है! बिहार पुलिस को चढ़ावा तो देना ही होगा! चाहे डंडे खाकर घूस दो या अपनी भलाई समझ चुपचाप जेब ढीली कर दो! ऊपर से चुनाव भी तो आ रहे हैं! अब तो अधिकारियों से भी डबल प्रेशर आ रहा है, क्योंकि अधिकारियों को भी ऊपर डबल डीके टैक्स चुकाना है! दबाकर कमाएंगे तभी तो.
पिटाई करने वाले मोहनिया थाना के एएसआई प्रभात कुमार को सस्पेंड कर दिया है. फिलहाल पुलिस विभाग इस मामले की जांच कर रहा है और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई करने की बात कह रहा है. यह कार्रवाई पुलिसकर्मियों की बर्बरता और अवैध गतिविधियों के लिए की जाएगी.
अजय कुमार की रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा की शुरूआत की. मुख्यमंत्री ने एसकेआईसीसी से महिलाओं के लिए शून्य-टिकट यात्रा पहल की शुरुआत की. एक सरकारी प्रवक्ता ने इस फैसले को लैंगिक-समावेशी गतिशीलता की दिशा में एक मील का पत्थर करार दिया.
इस कार्यक्रम के दौरान मंत्री सकीना इटू और सतीश शर्मा भी उपस्थित थे. अब्दुल्ला ने महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा की आधिकारिक रूप से शुरुआत करने से पहले स्कूल के छात्राओं के लिए शून्य-टिकट यात्रा का उद्घाटन किया, जिससे युवा छात्राओं के लिए सुलभ और सुरक्षित परिवहन के प्रति केंद्र शासित प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया गया.
महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा पेश किए गए बजट की एक प्रमुख घोषणा है. अब महिलाएं केंद्र शासित प्रदेश की स्मार्ट सिटी ई-बसों और जम्मू-कश्मीर सड़क परिवहन निगम (जेकेआरटीसी) की बसों में मुफ्त में यात्रा कर सकेंगी.
अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि यह पहल महज एक कल्याणकारी उपाय नहीं है बल्कि महिला सशक्तिकरण और समावेशी विकास की दिशा में एक साहसिक कदम है.
उन्होंने कहा, ‘‘आज से जम्मू-कश्मीर की महिलाएं सभी स्मार्ट सिटी और एसआरटीसी (राज्य सड़क परिवहन निगम) बसों में मुफ्त में यात्रा करेंगी. यह केवल सामर्थ्य के बारे में नहीं है; यह पहुंच, सुरक्षा और ऐसा वातावरण बनाने के बारे में है जहां महिलाएं स्वतंत्र रूप से यात्रा करने में सशक्त महसूस करें.हमारा लक्ष्य जम्मू-कश्मीर को समावेशी विकास का एक मॉडल बनाना है, जहां आवागमन की बाधाओं के कारण कोई भी महिला पीछे न रहे.
अब्दुल्ला ने यह उम्मीद जताई की इस निर्णय से महिलाओं के लिए यात्रा आसान और आरामदायक हो जाएगी.

मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का हाल पूछिए मत, देखिए! और देखने से भी ज्यादा, सुनिए! क्योंकि यहां सिर्फ ईंट-गारे से स्कूल नहीं बनते, बल्कि शब्दों से इमारतें खड़ी की जाती हैं और नामकरण से विकास होता है.
अब देखिए, पहले स्कूल का नाम था – सीएम राइज , जो अंग्रेज़ों की कोई छोड़ी हुई गुप्त योजना लगती थी. मुख्यमंत्री जी को यह नाम खटक गया. आखिर, राइज तो सूरज करता है, नेता नहीं! बस, झटपट आदेश आया— अब इसे महर्षि सांदीपनि के नाम से जाना जाएगा!
मुख्यमंत्री जी ने मंच से गर्व से कहा – अंग्रेज तो चले गए, लेकिन उनकी मानसिकता तकलीफ दे जाती है!
अब यह सुनकर देशभर के अंग्रेज़ अचानक आत्मग्लानि से भर उठे होंगे— अरे! जाते-जाते स्कूल का नाम भी बदल कर नहीं गए, कितनी बड़ी गलती कर दी!
अगर शिक्षा के मंदिरों की दीवारें जुबान खोल पातीं, तो शायद वो चीख-चीख कर कहतीं— भैया! नाम बदलने से दीवारों की सीलन नहीं सूखती और छतों से पानी नहीं रुकता! लेकिन अफसोस, दीवारों को लोकतंत्र में बोलने का अधिकार नहीं है. हां, मंत्रियों को है। सो, उन्होंने बोल ही दिया— सीएम राइज नाम हमें खटकता है! यह अंग्रेजों की मानसिकता है! अब इसे सांदीपनि स्कूल कहा जाएगा. वाह! जैसे नाम बदलते ही टपकती छतें संदीपनी के आशीर्वाद से अभेद्य किले बन जाएंगी और बच्चे अचानक विद्या के महासागर में तैरने लगेंगे!अब देखिए, सरकारें पहले स्कूल खोलती हैं, फिर उन्हें नया नाम देती हैं, फिर नाम से संतुष्ट नहीं होतीं तो दोबारा नाम बदल देती हैं. नामकरण का यह उत्सव शिक्षा सुधार के सारे तिलिस्म को ढक देता है. बच्चे सोच रहे हैं— गुरुजी! स्कूल में शौचालय नहीं है, पानी नहीं है, पढ़ाई के लिए जगह नहीं है, लेकिन नाम बदलने का बजट जरूर है! इस पर सरकारें गर्व से जवाब देती हैं— बच्चा! तुम मूल मुद्दों पर मत जाओ, तुम्हारे स्कूल का नाम अब सांदीपनि होगा, संस्कार आएंगे!
अब ज़रा आंकड़ों पर नजर डालें. मध्य प्रदेश के 3,620 स्कूलों में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय नहीं है, 12 लाख बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, 13,198 स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं और 7,000 से ज्यादा स्कूलों की इमारतें खस्ताहाल हैं. लेकिन सरकार को सबसे बड़ी समस्या सीएम राइज नाम से थी! भाई, कमाल के दूरदर्शी लोग हैं! बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जैसी तुच्छ चीजों की फिक्र छोड़कर, उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण समस्या का हल निकाल लिया— नाम बदल दो, सब ठीक हो जाएगा!
अब सरकार कह रही है कि सांदीपनि नाम से प्रेरणा आएगी. भगवान कृष्ण और बलराम के गुरु सांदीपनि के नाम से शायद स्कूलों में भी कोई चमत्कार हो जाए, लेकिन बच्चों को डर इस बात का है कि कहीं आगे चलकर स्कूलों में गुरु दक्षिणा भी लागू न हो जाए! बेटा, पढ़ाई खत्म? अब दक्षिणा में नया भवन बनवाकर दो!वैसे नाम बदलने की यह परंपरा कोई नई बात नहीं है. पहले सरकारी योजनाओं के नाम बदलते थे, अब स्कूलों का नंबर आ गया है. जब कुछ ठोस करना हो, तो सरकारें आंकड़ों की बाजीगरी दिखाती हैं, और जब कुछ करना न हो, तो नामकरण समारोह कर लेती हैं.
नाम बदलने से शिक्षा व्यवस्था की हालत नहीं बदलती.बच्चों को स्कूल में सुविधाएं चाहिए, किताबें चाहिए, अच्छी पढ़ाई चाहिए, लेकिन नेताओं को नाम बदलने की कला में महारत हासिल है. आखिर शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण राजनीति होती है! बच्चों का क्या? वे तो आदत से मजबूर हैं, इतिहास में नाम बदलने की यह गाथा पढ़कर परीक्षा में 5 नंबर और ले आएंगे!
नाम बदलने से समस्या हल हो गई? जी नहीं!विदिशा जिले में सिरोंज के सीएम राइज स्कूल में पांच कक्षाएँ चलती हैं, लेकिन कमरे हैं चार. यह भारतीय शिक्षा पद्धति का नया नवाचार है— एक क्लास, ओपन-एयर! बच्चों को सूर्य नमस्कार की जगह अब सूर्य स्नान करवा दिया गया है. गर्मी में टीनशेड ऐसे तपता है कि दो मिनट रुक जाएं तो भुने हुए छात्र तैयार हो जाएं! और बारिश के दिनों में तो स्कूल के बच्चे निबंध लिखते हैं— मेरी पाठशाला—एक झरना!
गुरुकुल टॉयलेट स्पेशल— सीढ़ी चढ़ो, काम निपटाओ!अब बात करें भोपाल के सीएम राइज स्कूल की. यहां के इंटीरियर डिज़ाइनर इतने प्रतिभाशाली निकले कि लड़कियों के टॉयलेट के ऊपर लड़कों का टॉयलेट बना दिया! जी हां, डुप्लेक्स शौचालय का ऐसा अनूठा उदाहरण आपको दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा.
स्कूल प्रशासन इस फैसले को गुरुकुल शैली बता सकता है— सीढ़ी चढ़ो, काम निपटाओ! शायद इसमें भी कोई वेदों की प्रेरणा होगी, लेकिन बच्चियों को समझ नहीं आ रहा कि शौचालय जाएं या गुप्तकाल की किसी खुफिया सुरंग में प्रवेश कर जाएं!
बजट बढ़ा, बच्चे घटे! वाह रे सरकार!सरकारी स्कूलों में सात साल में शिक्षा बजट 80% बढ़ा दिया गया, पर नतीजा? 12 लाख से ज्यादा बच्चे स्कूल छोड़कर चले गए! सवाल यह है कि पढ़ाई छूटी या स्कूलों से बदबू आई?
कक्षा 1 से 5 तक 6.35 लाख बच्चे गायब, 6 से 8 तक 4.83 लाख बच्चे कम, और 9 से 12 में 1 लाख बच्चे कम। लगता है, सरकार का एक सीधा मंत्र है— स्कूल का नाम बदलो, बच्चे खुद-ब-खुद भाग जाएंगे!
तो समस्या क्या है?समस्या यह नहीं कि स्कूलों के नाम क्या हैं, बल्कि यह है कि स्कूलों में छतें गिर रही हैं, टॉयलेट गटर बन गए हैं, और पीने का पानी तक नसीब नहीं. लेकिन सत्ता का ध्यान इस पर नहीं, ब्रांडिंग पर है! यानी,
नाम इतना शानदार रखो कि स्कूल देखने ही मत जाओ!
अब जब नामकरण हो ही गया है, तो अगला कदम क्या होगा? कहीं कल को स्कूल के नाम के आगे श्री श्री 1008 महर्षि सांदीपनि गुरुकुल विश्वविद्यालय ना जोड़ दिया जाए! ताकि बच्चे ना सही, कम से कम नाम पढ़कर ही शिक्षा पूरी कर लें!
तो भाइयों और बहनों, सरकार को धन्यवाद दीजिए कि टूटे स्कूलों में टपकती छतों को देखने से पहले आपको एक भव्य नया नाम देखने को मिल रहा है! क्या हुआ अगर बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे हैं? कम से कम वे स्कूल का नाम तो संस्कृत में रट ही लेंगे!
लेखक परिचयः अनुराग द्वारी NDTV इंडिया में स्थानीय संपादक (न्यूज़) हैं...
(अस्वीकरण: ये लेखक के निजी विचार है. इससे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.)

भारत ने रक्षा निर्यात के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते वित्तीय वर्ष (FY) 2024-25 में 12.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ ₹23,622 करोड़ (लगभग 2.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के ऐतिहासिक स्तर को छू लिया है. FY 2023-24 के ₹21,083 करोड़ की तुलना में ₹2,539 करोड़ (12.04%) की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है.
डीपीएसयू और निजी क्षेत्र की भूमिका
रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) ने FY 2024-25 में 42.85% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, जो भारतीय रक्षा उत्पादों की वैश्विक बाजार में बढ़ती स्वीकार्यता और भारत के वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने की उच्चतम क्षमता को दर्शाता है. इस वर्ष रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र का योगदान ₹15,233 करोड़ और डीपीएसयू का योगदान ₹8,389 करोड़ रहा, जबकि वित्त वर्ष ( 2023-24 ) में ये आंकड़े क्रमशः ₹15,209 करोड़ और ₹5,874 करोड़ थे.
रक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर पोस्ट कर इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए सभी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत 2029 तक रक्षा निर्यात को ₹50,000 करोड़ तक पहुंचाने के लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है.
आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम
भारत अब एक आयात-निर्भर सैन्य शक्ति से आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन निर्माण की ओर तीव्र गति से बढ़ रहा है. वित्त वर्ष (2024-25) में लगभग 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियां, संपूर्ण प्रणालियां, तथा विभिन्न रक्षा घटकों का निर्यात किया गया, जिससे भारत की रक्षा क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है.
नीतिगत सुधार और निर्यात प्रक्रियाओं में सुधार
रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा निर्यात प्राधिकरण अनुरोधों के आवेदन और प्रसंस्करण के लिए एक सरल एवं समर्पित पोर्टल संचालित किया जा रहा है. FY 2024-25 में 1,762 निर्यात प्राधिकरण जारी किए गए, जो पिछले वित्तीय वर्ष के 1,507 प्राधिकरणों की तुलना में 16.92% अधिक हैं. इसी अवधि में कुल निर्यातकों की संख्या में भी 17.4% की वृद्धि दर्ज की गई.
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने भारतीय रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतिगत सुधारवादी कदम उठाये हैं, जिनमें शामिल हैं:-
- औद्योगिक लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण
- भागों और घटकों को लाइसेंस प्रणाली से हटाना
- लाइसेंस की वैधता अवधि का विस्तार
- निर्यात प्राधिकरण की SOP को सरल बनाना
इन आशावादी सुधारों के साथ, भारत अपने रक्षा निर्यात में निरंतर वृद्धि के साथ वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है.