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बसपा ने तीन लोकसभा सीट के लिए घोषित किए उम्मीदवार, दादरौल विधानसभा उपचुनाव में भी मैदान मेंलोकसभा चुनाव के लिए रणनीति में बदलाव करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर का टिकट बदल दिया है. वह आजमगढ़ की जगह अब सलेमपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. वहीं, पार्टी ने भदोही से इरफान अहमद (बबलू) और हमीरपुर से निर्दोष कुमार दीक्षित को प्रत्याशी बनाया है. इसके आलावा इस बार उसने विधानसभा उपचुनाव में भी प्रत्याशी घोषित किया है.\
बुधवार को बसपा ने एक सीट का प्रत्याशी बदलने के साथ ही दो और लोकसभा सीट के प्रत्याशियों की सातवीं सूची जारी की. इसके साथ ही पार्टी अब तक 66 सीटों पर अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर चुकी है. आज घोषित उम्मीदवारों में एक मुस्लिम समुदाय से जबकि एक पिछड़े वर्ग और एक ब्राह्मण समाज से है.
पार्टी ने अपनी रणनीति में अहम बदलाव करते हुए विधानसभा उपचुनाव में भी प्रत्याशी उतारा है. पार्टी ने शाहजहांपुर की ददरौल सीट पर होने वाले उपचुनाव में सर्वेश चंद्र मिश्रा को टिकट दिया है.
गौरतलब है कि बसपा उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने से परहेज करती रही है. लोकसभा और विधानसभा के तमाम उपचुनाव के दौरान बसपा ने अपने प्रत्याशी बीते कई वर्षों के दौरान नहीं उतारे हैं.
ददरौल सीट के लिए गुरुवार को नामांकन का अंतिम दिन है. मतदान 13 मई को होगा.
इंडिया गठबंधन ‘एक साल, एक प्रधानमंत्री’ के फॉर्मूले पर विचार कर रहा : PM मोदी का तंज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को दावा किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया अपने नेतृत्व के मुद्दे को सुलझाने के लिए ‘एक साल, एक प्रधानमंत्री के फॉर्मूले पर विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि दुनिया सबसे बड़े लोकतंत्र में ऐसी व्यवस्था का उपहास करेगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से इस हद तक नफरत करती है कि वह अपने ‘‘सबसे पसंदीदा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में उन्हें मिलने वाला आरक्षण देना चाहती है.
भाजपा के दिग्गज नेता ने कांग्रेस पर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने और सामाजिक न्याय के विचार की ‘‘हत्या करने का आरोप लगाया.
प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट के अंतर्गत हरदा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए लोगों से सवाल किया कि क्या मतदाता ‘‘पांच साल में पांच प्रधानमंत्री फॉर्मूले के लिए तैयार हैं. उन्होंने इसे विपक्षी गठबंधन के सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस का ‘‘खतरनाक खेल करार दिया.
उन्होंने धन के पुनर्वितरण की कांग्रेस की कथित योजना को ‘‘लोगों की संपत्ति छीनना बताया और कहा कि पार्टी के ‘शहजादे (वायनाड सांसद राहुल गांधी के संदर्भ में) के एक सलाहकार ने अब विरासत कर लगाने का सुझाव दिया है.
प्रधानमंत्री इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने धन के पुनर्वितरण के मुद्दे पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए अमेरिका में विरासत कर कानून के बारे में बात की है.
उन्होंने कहा कि जहां भाजपा में नेतृत्व के मुद्दे पर स्पष्टता है, वहीं ‘इंडिया गठबंधन में इसका अभाव है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘लोगों को पता होना चाहिए कि ‘इंडिया गठबंधन के नेता देश की बागडोर किसे सौंपना चाहते हैं. उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि ‘इंडिया गठबंधन के लोगों के बीच ‘एक साल, एक प्रधानमंत्री फॉर्मूले पर चर्चा चल रही है. इसका मतलब है कि एक साल में एक प्रधानमंत्री, दूसरे साल में दूसरा प्रधानमंत्री, तीसरे साल में तीसरा प्रधानमंत्री, चौथे साल में चौथा प्रधानमंत्री, पांचवें साल में पांचवां प्रधानमंत्री... वे प्रधानमंत्री की कुर्सी नीलाम करने में व्यस्त हैं.
मोदी ने लोगों को इन नेताओं से सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि ये नेता ‘‘मुंगेरीलाल के सपने जैसे दिवास्वप्न देख रहे हैं. प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों से पूछा, जब पांच साल में पांच प्रधानमंत्री होंगे तो देश का क्या होगा? क्या यह व्यवस्था आपके सपनों को पूरा करेगी और आपके बच्चों के भविष्य की रक्षा करेगी?
ऐसी व्यवस्था पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘‘एक नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा और चार अन्य कुर्सी का एक-एक पैर पकड़कर बैठेंगे और एक साल खत्म होने का इंतजार करेंगे.
मोदी ने कहा, ‘‘मैं आपको जागरूक करना चाहता हूं. यह बहुत डरावना खेल है जो देश को बर्बाद कर देगा, यह सपना सुंदर नहीं है, यह एक ऐसा खेल है जो आपके सपनों को चकनाचूर कर देगा. अपने वोट की ताकत को समझें.
मोदी ने कहा कि दादा-दादी कठिनाइयों का जीवन जीते हुए अपनी अगली पीढ़ियों के लिए संपत्ति छोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन कांग्रेस इन संपत्तियों को छीनना चाहती है.
उन्होंने चेताया, ‘‘कड़ी मेहनत और कठिनाइयां सहकर आपने जो धन इकट्ठा किया है, वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बनने पर आपसे लूट लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने वोट-बैंक को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. उन्होंने मुख्य विपक्षी दल पर हमला करने के लिए संपत्ति पुनर्वितरण और विरासत कर मुद्दों के बारे में बात की.
मोदी ने कहा, ‘‘अगर किसी के पास एक से अधिक कार, मोटरसाइकिल या घर है, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार आने पर इसे जब्त कर लिया जाएगा.
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के घोषणापत्र में नौकरियों और शिक्षा में धर्म आधारित आरक्षण की बात होने का दावा किया. उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने अभी कहा है कि वह मुसलमानों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करेंगे.
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो उन्होंने सबसे पहले आंध्र प्रदेश में धर्म आधारित कोटा लागू किया. उन्होंने कहा, ‘‘तब कांग्रेस अपनी योजना में पूरी तरह सफल नहीं हुई थी. लेकिन कांग्रेस अभी भी वह खेल खेलना चाहती है.
मोदी ने दावा किया कि कर्नाटक में ओबीसी के लिए आरक्षण को कमजोर करने के लिए दक्षिणी राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मुसलमानों को उस श्रेणी में शामिल किया है. उन्होंने चेताया, ‘‘कांग्रेस की यह कार्रवाई पूरे देश के ओबीसी समुदाय के लिए खतरे की घंटी है.
मोदी ने बताया कि संविधान निर्माताओं ने स्पष्ट रूप से तय किया था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे संविधान की मूल भावना थी, लेकिन कांग्रेस की हरकतें संविधान की मूल भावना के खिलाफ हैं.
उन्होंने कांग्रेस पर बी.आर. आंबेडकर के बनाए संविधान को मिटाने और एससी,एसटी,ओबीसी से आरक्षण छीनने की लगातार कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस एससी,एसटी,ओबीसी से आरक्षण छीनकर अपने विशेष वोट बैंक को देना चाहती है.
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और विदिशा से भाजपा उम्मीदवार शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे. भाजपा ने बैतूल से दुर्गादास उइके को मैदान में उतारा है, जहां विदिशा और सात अन्य लोकसभा सीटों के साथ सात मई को तीसरे चरण में मतदान होगा.
एक वोट नहीं : 26,000 शिक्षकों की नौकरी जाने के बाद ममता बनर्जी का बड़ा बयान
26,000 शिक्षकों की नौकरी ख़त्म करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रतिक्रिया दी है. मुख्यमंत्री ने कहा, बीजेपी या सीपीएम या कांग्रेस के लिए एक भी वोट नहीं, न शिक्षकों का, न किसी सरकारी कर्मचारी का.
उन्होंने कहा, मुझे अभी भी सर्वोच्च न्यायालय से न्याय की उम्मीद है. सीबीआई को खरीद लिया है. एनआईए को खरीद लिया है. दूरदर्शन का रंग भगवा कर दिया है - वे केवल बात करेंगे.
इस सप्ताह की शुरुआत में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सरकार प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 2016 की भर्ती प्रक्रिया को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि कुछ उम्मीदवारों ने नौकरी पाने के लिए रिश्वत दी थी. शिक्षक भर्ती मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत कई तृणमूल नेता और पूर्व अधिकारी जेल में हैं. लेकिन इस कदम ने एक ही झटके में 26,000 शिक्षकों को बेरोजगार कर दिया. उनसे 12% ब्याज के साथ अपना वेतन लौटाने को कहा गया. राज्य ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
अदालत का आदेश राज्य में गेमचेंजर हो सकता है, जहां 2019 में राज्य की 42 सीटों में से 18 सीटें जीतने वाली भाजपा अपने पदचिह्न का विस्तार करने की उम्मीद कर रही है. संदेशखाली में विवाद से बैकफुट पर धकेल दी गई ममता बनर्जी की पार्टी को जनता के गुस्से का फायदा मिलने की उम्मीद है.
सभी नियुक्तियों को रद्द करने के अदालती आदेश के खिलाफ कोलकाता में पहले ही भारी विरोध प्रदर्शन हो चुका है. प्रदर्शनकारियों ने तर्क दिया है कि भ्रष्टाचार में लिप्त कुछ लोगों के कारण हजारों निर्दोष शिक्षक, उनके परिवार और साथ ही छात्र पीड़ित हैं.
झारखंड: तेजाब हमले में तीन महिलाओं समेत चार लोग गंभीर रूप से घायल
झारखंड के साहिबगंज जिले में बुधवार तड़के एक परिवार पर तेजाब से हमला किया गया जिससे तीन महिलाओं सहित चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि हमले के समय परिवार के सभी चार सदस्य सो रहे थे. उन्होंने बताया कि तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घायलों की उम्र 15 से 60 साल के बीच है.
उन्होंने बताया कि यह घटना राजमहल थाना क्षेत्र के एक निर्माणाधीन मार्केट कॉम्प्लेक्स की छत पर हुई, जहां परिवार के चार सदस्य मंगलवार रात सो रहे थे.
साहिबगंज के उपायुक्त हेमंत सती ने संवाददाताओं से कहा, बुधवार सुबह तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. प्रथम दृष्टया, यह जमीन को लेकर पारिवारिक विवाद का मामला प्रतीत हो रहा है.
उन्होंने कहा कि सभी घायलों को राजमहल अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें बेहतर इलाज के लिए धनबाद भेज दिया गया. राजमहल पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मामले में जांच की जा रही है और सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जा रहा है.
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छत्तीसगढ़ : महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप घोटाला मामले में दो आरोपी गिरफ्तार
महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप, सट्टेबाजी ऐप, प्रवर्तन निदेशालय
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी)/आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने महादेव ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी ऐप के कथित अवैध संचालन के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट के आधार पर चार मार्च को राज्य की एजेंसी द्वारा दर्ज मामले में यह पहली गिरफ्तारी है. प्रवर्तन निदेशालय पिछले एक साल से अधिक समय से इस मामले में धन शोधन के पहलू की जांच कर रहा है.
एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि एजेंसी ने महादेव सट्टा ऐप मामले में दो फरार आरोपी राहुल वकटे और रितेश यादव को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने बताया कि दोनों को रायपुर की एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें छह दिनों के लिए एसीबी/ईओडब्ल्यू की हिरासत में भेज दिया गया.
बयान में कहा गया है कि राज्य पुलिस के सहायक उप निरीक्षक चंद्रभूषण वर्मा को (ईडी द्वारा) गिरफ्तार करने के बाद दोनों पिछले साल अगस्त से फरार थे. बयान के मुताबिक, एजेंसी की टीम ने राहुल को दिल्ली से तथा रितेश को गोवा से गिरफ्तार किया है.
अधिकारियों ने बताया कि वकटे कथित तौर पर हवाला के माध्यम से प्राप्त धन को वर्मा तक पहुंचाने का काम करता था. वकटे के नाम पर तीन फर्म रजिस्टर्ड थीं, जिनमें भारी मात्रा में नकदी जमा की गई थी.
उन्होंने बताया कि यादव कथित तौर पर ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप के पैनल का संचालन कर रहा था और उसने हवाला के माध्यम से धन प्राप्त करने के बाद वर्मा और एक अन्य व्यक्ति सतीश चंद्राकर की सहायता की थी. उन्होंने बताया कि हवाला के 43 लाख रुपये को फ्रीज किया गया है.
चंद्राकर को पिछले साल ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था.
बयान में कहा गया है कि यादव पुणे (महाराष्ट्र) में महादेव सट्टेबाजी ऐप पैनल का संचालन कर रहा था. राज्य की एसीबी ने पुणे पुलिस के सहयोग से वहां छापेमारी की और आठ लोगों को गिरफ्तार किया जो सट्टेबाजी ऐप पैनल के संचालन में शामिल थे. उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई पुणे पुलिस द्वारा की जा रही है.
एसीबी/ईओडब्ल्यू ने कथित महादेव सट्टेबाजी ऐप घोटाले में अपनी प्राथमिकी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ-साथ ऐप के प्रवर्तकों रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी, अनिल कुमार अग्रवाल तथा 14 अन्य को आरोपी बनाया है.
ईडी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्राथमिकी में कहा गया है कि महादेव ऐप के प्रवर्तक रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी और अनिल कुमार अग्रवाल ने लाइव ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन मंच बनाया और व्हाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से सट्टेबाजी में शामिल हुए.
प्राथमिकी के अनुसार, 2020 में कोविड महामारी के चलते लॉकडाउन लागू होने के बाद प्रवर्तकों और पैनल संचालकों ने ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप के माध्यम से प्रति माह लगभग 450 करोड़ रुपये कमाए हैं.
इसमें कहा गया है कि पैनल संचालकों ने विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात में प्रवर्तकों को अवैध धन हस्तांतरित किया.
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि विभिन्न पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों ने अपने पदों का दुरुपयोग किया है तथा महादेव ऐप के प्रवर्तकों से संरक्षण राशि के रूप में अवैध संपत्ति अर्जित की है.
ईडी ने कई अचल संपत्तियों की अस्थायी कुर्की की है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं ने बीते विधानसभा चुनाव के दौरान महादेव ऐप मामले को लेकर बघेल पर निशाना साधा था.
इस साल जनवरी में भूपेश बघेल ने महादेव सट्टेबाजी ऐप मामले में ईडी की कार्रवाई को ‘‘राजनीतिक साजिश करार दिया था और संघीय एजेंसी पर अपने ‘‘राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था.
मणिपुर में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी सफलता! भारी मात्रा में हथियार, मोर्टार जब्त
हिंसा प्रभावित राज्य के इम्फाल पूर्वी जिले में सेना और मणिपुर पुलिस के संयुक्त अभियान में हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं. सबुंगखोक गांव के पास सबुंगखोक खुनाओ-चानुंग रिज के सामान्य क्षेत्र में हथियारों और गोला-बारूद की मौजूदगी के बारे में विशेष खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करते हुए, सेना ने मणिपुर पुलिस के साथ एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया. अधिकारियों ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान हथियार और गोला-बारूद बरामद हुआ है.
पहाड़ी इलाके से एक 9 मिमी पिस्तौल, एक 7.65 मिमी पिस्तौल, दो 303 बोर राइफल और तीन हथगोले के साथ चार इम्प्रोवाइज्ड लॉन्ग रेंज मोर्टार, जिन्हें पोम्पी के नाम से जाना जाता है, बरामद किए गए.
मणिपुर में, कुकी-ज़ो जनजातियों और मेइतीस के बीच 11 महीने से तनाव बना हुआ है, क्योंकि भूमि, संसाधनों, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सकारात्मक कार्रवाई नीतियों पर असहमति को लेकर दोनों समुदायों के बीच झड़पें हुई हैं.
इससे पहले, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि समुदायों के बीच किसी भी प्रकार की शांति वार्ता से राज्य की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं होना चाहिए और स्वदेशी आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए.
मैतेई समुदाय के शीर्ष नागरिक निकायों और कुकी-ज़ो जनजातियों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए औपचारिक शांति वार्ता अभी शुरू नहीं हुई है.
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JEE Mains Result: एनटीए ने जारी किया जेईई-मेन का परिणाम, 56 परीक्षार्थियों को 100% स्कोर
JEE Mains Result: राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा-मुख्य (JEE Mains Result) का रिजल्ट जारी कर दिया है. जेईई-मेन में 56 उम्मीदवारों ने पूर्ण 100 अंक हासिल किए, जिनमें से अधिकतम तेलंगाना से थे.
जेईई (एडवांस्ड) के लिए क्वालीफाइंग परसेंटाइल सभी श्रेणियों में पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. इस वर्ष सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम कट-ऑफ 93.2 है, जो 2023 में 90.7 और 2022 में 88.4 है. इस वर्ष सामान्य-ईडब्ल्यूएस के लिए कट-ऑफ 81.3 है, जो पिछले साल 75.6 और 2022 में 63.1 है. वहीं, जेईई (मेन) जनवरी सत्र में 23 उम्मीदवारों ने 100 एनटीए स्कोर हासिल किया था.
39 उम्मीदवारों को परीक्षा देने से रोक दिया गया
एनटीए ने कहा कि परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का उपयोग करने के लिए 39 उम्मीदवारों को तीन साल के लिए जेईई-मेन देने से रोक दिया गया.
यह परीक्षा असमिया, बंगाली, अंग्रेजी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू में आयोजित की गई थी. परीक्षा का पहला संस्करण जनवरी-फरवरी में आयोजित किया गया था, जबकि दूसरा संस्करण अप्रैल में आयोजित किया गया था. जेईई-मेन्स पेपर 1 और पेपर 2 के परिणामों के आधार पर, उम्मीदवारों को जेईई-एडवांस्ड परीक्षा में बैठने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है, जो 23 प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में प्रवेश पाने के लिए वन-स्टॉप परीक्षा है.
Declaration of the Result/NTA Scores for the Joint Entrance Examination [JEE (Main) - 2024] of Paper 1 (B.E. / https://t.co/iCRsualFpY.) pic.twitter.com/x9RgQOJ8EU
— National Testing Agency (@NTA_Exams) April 24, 2024100 का सही एनटीए स्कोर हासिल करने वाले उम्मीदवारों में से 15 तेलंगाना से, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से सात-सात और दिल्ली से 6 हैं. जेईई मेन 2024 परिणाम का परिणाम सीधे आधिकारिक वेबसाइट jeemain.nta.ac.in से डाउनलोड कर सकते हैं.
अधिकारी ने आगे कहा कि परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का उपयोग करने के लिए 39 उम्मीदवारों को तीन साल के लिए जेईई-मेन देने से रोक दिया गया था. पहले से मौजूद नीति के अनुसार दो एनटीए स्कोर में से सर्वश्रेष्ठ को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों की रैंक जारी की जाती है. महत्वपूर्ण परीक्षा के दूसरे संस्करण के लिए 10 लाख से अधिक उम्मीदवार उपस्थित हुए थे.
2023 में, 2,51,673 जेईई (मेन) उम्मीदवार जेईई (एडवांस्ड) के लिए उपस्थित होने के लिए योग्य थे. जेईई (एडवांस्ड) के लिए पंजीकरण 27 अप्रैल से शुरू होगा और ये उम्मीदवार आईआईटी में लगभग 17,385 स्नातक सीटों के लिए परीक्षा देंगे.
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JEE Mains Result 2024: राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा-मुख्य (JEE Mains Result) का रिजल्ट घोषित कर दिया है. इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई-मेन में 56 उम्मीदवारों ने पूर्ण 100 अंक हासिल किए, जिनमें से अधिकतम तेलंगाना से थे. महत्वपूर्ण परीक्षा के दूसरे संस्करण के लिए 10 लाख से अधिक उम्मीदवार उपस्थित हुए थे.
अधिकारियों के अनुसार, एनटीए स्कोर प्राप्त अंकों के प्रतिशत के समान नहीं है. परीक्षा का पहला संस्करण जनवरी-फरवरी में आयोजित किया गया था, जबकि दूसरा संस्करण अप्रैल में आयोजित किया गया था. जेईई-मेन्स पेपर 1 और पेपर 2 के परिणामों के आधार पर, उम्मीदवारों को जेईई-एडवांस्ड परीक्षा में बैठने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है, जो 23 प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में प्रवेश पाने के लिए वन-स्टॉप परीक्षा है.
56 टॉपर्स में सामान्य वर्ग से 40, ओबीसी वर्ग से 10 और जनरल-ईडब्ल्यूएस वर्ग से छह शामिल हैं. इस वर्ष एससी और एसटी वर्ग का कोई भी उम्मीदवार 100 एनटीए स्कोर प्राप्त करने में कामयाब नहीं हुए. अधिकारियों के अनुसार, एनटीए स्कोर प्राप्त अंकों के प्रतिशत के समान नहीं है.
अधिकारी ने आगे कहा कि परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का उपयोग करने के लिए 39 उम्मीदवारों को तीन साल के लिए जेईई-मेन देने से रोक दिया गया था. पहले से मौजूद नीति के अनुसार दो एनटीए स्कोर में से सर्वश्रेष्ठ को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों की रैंक जारी की जाती है.
14.1 लाख उम्मीदवारों में से, लगभग 96 प्रतिशत उम्मीदवारों ने केंद्रीय वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों में इंजीनियरिंग और वास्तुकला कार्यक्रमों में स्नातक प्रवेश के लिए परीक्षा दी और साथ ही जेईई (एडवांस्ड) की परीक्षा में बैठ सकते हैं. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) में लगभग 24,000 सीटें हैं. उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट jeemain.nta.ac.in या ntaresults.nic.in पर जाकर अपने मार्क्स देख सकते हैं.
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संदेह के आधार पर चुनाव पर नियंत्रण नहीं कर सकते या निर्देश जारी नहीं कर सकते: न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह केवल ‘इलेक्ट्रॉनिंग वोटिंग मशीन (ईवीएम) की कार्यप्रणाली को लेकर संदेहों के आधार पर चुनाव पर नियंत्रण नहीं कर सकता या निर्देश जारी नहीं कर सकता. न्यायालय ने ईवीएम में छेड़छाड़ करके परिणाम में हेरफेर के दावों वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मतदान मशीनों के फायदों पर संदेह करने वालों और फिर से मतपत्रों से मतदान कराने की वकालत करने वालों के सोचने के तरीके को नहीं बदल सकती. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने निर्वाचन आयोग के समक्ष उठाए गए सवालों के जवाबों का संज्ञान लेने के बाद ईवीएम के माध्यम से डाले गए सभी वोट का ‘वोटर वेरिफियेबिल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के साथ पूरी तरह मिलान करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी से ईवीएम की कार्य-प्रणाली के संबंध में पांच प्रश्न पूछे थे जिनमें यह प्रश्न भी शामिल है कि ‘‘क्या ईवीएम में लगे ‘माइक्रोकंट्रोलर को फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है या नहीं. वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश कुमार व्यास ने इससे पहले ईवीएम की कार्य-प्रणाली के बारे में अदालत में प्रस्तुतिकरण दिया था. पीठ ने उन्हें अपराह्न दो बजे प्रश्नों के उत्तर देने के लिए बुलाया था.
व्यास ने ‘माइक्रोकंट्रोलर के बारे में प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि इन्हें विनिर्माण के समय ही एक बार ‘प्रोग्राम किया जा सकता है और इन्हें ईवीएम की सभी तीन इकाइयों-मतदान इकाई, वीवीपैट और नियंत्रण इकाई में लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि इसके बाद इन्हें दोबारा ‘प्रोग्राम नहीं किया जा सकता. एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग के अधिकारी का बयान पूरी तरह सही नहीं है. उन्होंने अपनी दलील के समर्थन में एक निजी संस्था की रिपोर्ट का उल्लेख किया.
उन्होंने दावा किया, ‘‘रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तीन इकाइयों में जिस तरह की ‘मेमोरी का इस्तेमाल किया गया है, उसे दोबारा ‘प्रोग्राम किया जा सकता है. ‘सिंबल लोडिंग के समय एक दुर्भावनापूर्ण ‘प्रोग्राम आसानी से अपलोड किया जा सकता है. भूषण ने कहा कि ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर संशयों को दूर करने के प्रयास होने चाहिए.
न्यायमूर्ति खन्ना ने भूषण से कहा कि अदालत को आयोग द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों और जानकारी पर निर्भर रहना होगा जिसका कहना है कि ईवीएम की ‘मेमोरी को केवल एक बार ‘प्रोग्राम किया जा सकता है. पीठ ने भूषण से कहा, ‘‘अगर आपको किसी चीज को लेकर पूर्वाग्रह है तो हम इसमें मदद नहीं कर सकते. हम आपके सोचने के तरीके को नहीं बदल सकते.
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘क्या हम संदेह के आधार पर निर्देश जारी कर सकते हैं? आप जिस रिपोर्ट की बात कर रहे हैं, उसमें कहा गया है कि छेड़छाड़ की अभी तक कोई घटना नहीं हुई है. हम चुनावों पर नियंत्रण नहीं कर सकते. उन्होंने भूषण से कहा कि अगर ईवीएम में कुछ गलत होता है तो कानून इसे देखेगा.
सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समितियों में रुकावटें एक तरह का छिपा हुआ वीटो है : भारत
भारत ने चीन पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समितियों में प्रस्तावों पर लगाई गईं रोक एक प्रकार का छिपा हुआ वीटो है और इसकी आड़ में पाकिस्तान स्थित वैश्विक आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने जैसे मामलों पर परिषद के कुछ सदस्य देश कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत रुचिरा कम्बोज ने मंगलवार को यह बात कही.
रुचिरा कम्बोज ने एक बयान में कहा, ‘‘किसी भी संस्थान के काम करने के तरीकों को उसके सामने आने वाली चुनौतियों का जवाब देना चाहिए और बढ़ती हुई चुनौतियों का मुकाबला करने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का रिकॉर्ड काफी निराशाजनक रहा है.कम्बोज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वीटो पहल- संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को मजबूत करना प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाने की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि सुरक्षा परिषद ने वीटो को छिपाने के लिए अपने कामकाज के तरीके का उपयोग किया. उसने इस काम को अपनी समितियों की तदर्थ कार्य पद्धतियों के माध्यम से छिपाने का प्रयास किया है जो उसकी तरफ से काम तो करती है किंतु उसकी जवाबदेही बहुत कम है.
उन्होंने कहा, ‘‘ हममें से जो लोग मंजूरी समितियों की कार्य प्रणाली और रोक और अवरोध लगाने की इसकी परंपरा से परिचित हैं, वे जानते हैं कि ये उन मामलों पर एक प्रकार की छिपी हुई वीटो शक्ति हैं, जिन पर कुछ परिषद सदस्य कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे और उन्हें अपने निर्णयों की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं होती है.
कम्बोज की यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से चीन के संदर्भ में है. चीन ने सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को नामित करने के लिए भारत और अमेरिका जैसे उसके सहयोगी देशों द्वारा पेश किए गए प्रस्तावों पर बार-बार रोक लगाई है.
दो साल पहले, संयुक्त राष्ट्र महासभा में संकल्प 76/262 को अपनाया गया था जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि 193 सदस्यीय महासभा के अध्यक्ष 15 देशों की सुरक्षा परिषद के एक या अधिक स्थायी सदस्यों द्वारा वीटो करने के 10 दिनों के भीतर एक औपचारिक बैठक बुलाएंगे. कम्बोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव में परिषद के कामकाज के तरीकों की अपारदर्शिता को संबोधित करने और जवाबदेही तय करने की आवश्यकता को प्रतिबिंबित करने वाली भावना का स्वागत है. उन्होंने कहा, ‘‘ इन प्रयासों के महत्व को पहचानते हुए, हम चाहेंगे कि इन प्रयासों को इस तरह से किया जाए जिससे उंगली उठाने के बजाय आम सहमति बनाने का माहौल बने.
यह कहना खतरनाक कि लोक कल्याण के लिए निजी संपत्ति का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता : न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि संविधान का उद्देश्य सामाजिक बदलाव की भावना लाना है और यह कहना खतरनाक होगा कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को ‘समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं माना जा सकता और सार्वजनिक भलाई के लिए राज्य प्राधिकारों द्वारा उस पर कब्जा नहीं किया जा सकता. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-सदस्यीय संविधान पीठ ने ये टिप्पणी की. पीठ इस बात पर गौर कर रही है कि क्या निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को समुदाय का भौतिक संसाधन माना जा सकता है.
इससे पहले मुंबई के प्रॉपर्टी ऑनर्स एसोसिएशन (पीओए) सहित विभिन्न पक्षों के वकील ने जोरदार दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 39(बी) और 31सी की संवैधानिक योजनाओं की आड़ में राज्य अधिकारियों द्वारा निजी संपत्तियों पर कब्जा नहीं लिया जा सकता है. पीठ विभिन्न याचिकाओं से उत्पन्न जटिल कानूनी प्रश्न पर विचार कर रही है कि क्या निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत समुदाय का भौतिक संसाधन माना जा सकता है. संविधान का अनुच्छेद 39(बी) राज्य नीति निर्देशक तत्वों (डीपीएसपी) का हिस्सा है.
पीठ ने कहा, यह कहना थोड़ा अतिवादी हो सकता है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का अर्थ सिर्फ सार्वजनिक संसाधन हैं और उसकी उत्पत्ति किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति में नहीं है. मैं आपको बताऊंगा कि ऐसा दृष्टिकोण रखना क्यों खतरनाक है. पीठ ने कहा, खदानों और निजी वनों जैसी साधारण चीजों को लें. उदाहरण के लिए, हमारे लिए यह कहना कि अनुच्छेद 39(बी) के तहत सरकारी नीति निजी वनों पर लागू नहीं होगी... इसलिए इससे दूर रहें. यह बेहद खतरनाक होगा.
पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे. पीठ ने 1950 के दशक की सामाजिक और अन्य प्रचलित स्थितियों का जिक्र करते हुए कहा, संविधान का मकसद सामाजिक बदलाव लाना था और हम यह नहीं कह सकते कि निजी संपत्ति पर अनुच्छेद 39(बी) का कोई उपयोग नहीं है.
पीठ ने कहा कि अधिकारियों को जर्जर इमारतों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार देने वाला महाराष्ट्र कानून वैध है या नहीं, यह पूरी तरह से भिन्न मुद्दा है और इस पर अलग से विचार किया जाएगा. सुनवाई पूरी नहीं हुई और यह बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी.
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Inheritance Tax: भारत में भी प्रॉपर्टी पर देना पड़ता था टैक्स, राजीव गांधी ने क्यों खत्म कर दिया था ये कानून
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के प्रचार अभियान के बीच बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच जुबानी जंग भी जारी है. एक तरफ पीएम मोदी (PM Narendra Modi) कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर निशाना साध रहे हैं. दूसरी ओर, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा (Indian Overseas Congress chief Sam Pitroda) के बयान से देश में खलबली मचा दी है. सैम पित्रोदा अपने एक बयान में अमेरिका के इन्हेरिटेंस टैक्स (विरासत टैक्स) की वकालत करते नजर आए. इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) समेत अमित शाह, बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी कांग्रेस पर हमला बोला. हालांकि, एक समय तक भारत में ये टैक्स लागू था. पूर्व पीएम राजीव गांधी ने इस टैक्स को खत्म किया था.
आइए जानते हैं क्या है Inheritance Tax? इसे क्यों बनाया जा रहा है राजनीतिक मुद्दा?
क्या है Inheritance Tax?
Inheritance Tax अमेरिका में लगने वाला एक टैक्स है. किसी की मौत होने पर जब उसकी संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर किया जाता है, तब ये टैक्स लगाया जाता है. आसान शब्दों में कहे, तो Inheritance Tax किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी प्रॉपर्टी के बंटवारे पर लगता है. प्रॉपर्टी के बंटवारे के बाद कुछ हिस्सा टैक्स के रूप में संबंधित परिवार को सरकार को देना होता है.
यूनाइटेड किंगडम में 40% लगता है टैक्स
यूनाइटेड किंगडम में 325,000 पाउंड यानी 3.37 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति पर 40% Inheritance Tax लगाया जाता है. जापान में इस टैक्स की रेट कुछ ज्यादा है. मौजूदा समय में वहां 55% इनहेरिटेन्स टैक्स देना पड़ता है. प्रॉपर्टी में हर उत्तराधिकारी को कितना हिस्सा मिलता है, टैक्स की रेट भी उसके आधार पर तय होती है.
बजट में एस्टेट ड्यूटी या इन्हेरिटेंस टैक्स फिर से लगाए जाने की संभावना
क्या भारत में कभी लगा है Inheritance Tax?
भारत में Inheritance Tax कानून 1985 तक मौजूद था. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसे खत्म कर दिया. इसे एस्टेट ड्यूटी एक्ट 1953 के जरिए पेश किया गया था. ये टैक्स तभी देय होगा, जब संपत्ति के विरासत वाले हिस्से की टोटल वैल्यू एक्सक्लूजन लिमिट से ज्यादा हो जाए. भारत में संपत्तियों पर यह टैक्स 85% तक निर्धारित किया गया था. इस टैक्स का मकसद आय असमानता को कम करना था.
क्यों खत्म हुआ ये टैक्स?
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का इनहेरिटेन्स टैक्स 1985 में निरस्त कर दिया गया था, क्योंकि इससे न तो समाज में आर्थिक असमानता को कम करने में मदद मिली और न ही इसने राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान दिया. 1984-85 में एस्टेट ड्यूटी एक्ट के तहत कुल 20 करोड़ रुपये का टैक्स कलेक्ट किया गया था. लेकिन टैक्स कलेक्शन की लागत बहुत ज्यादा थी. इस टैक्स के जटिल कैल्कुलेशन स्ट्रक्टर ने ज्यादा से ज्यादा मुकदमेबाजी को जन्म दिया.
पित्रोदा के किस बयान पर मचा है बवाल?
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में इन्हेरिटेंस टैक्स का कल्चर है. जब किसी की मौत हो जाती है, तब उसकी संपत्ति का कुछ हिस्सा सरकार को भी देना पड़ता है. भारत में ऐसा कोई कानून नहीं हैं. यहां अगर किसी के पास 10 अरब रुपये की संपत्ति है, तो मरने के बाद उसके बच्चों को सारी संपत्ति मिल जाती है, जनता के लिए कुछ नहीं बचता.
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पीएम मोदी ने जताई आपत्ति
सैम पित्रोदा के इस बयान के बाद पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला. मोदी ने कहा, कांग्रेस के खतरनाक इरादे खुलकर सामने आ गए हैं, इसलिए वो इन्हेरिटेंस टैक्स की बात कर रहे हैं. वहीं, अमित शाह ने कहा, कांग्रेस पार्टी एक्सपोज हो गई है .
कांग्रेस ने किया बयान से किनारा
बवाल के बीच कांग्रेस पित्रोदा के बयान से किनारा किया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. यहां सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पित्रोदा के विचार हमेशा कांग्रेस की राय से मेल खाते हों.
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असम की बराक घाटी में ‘डी’ मतदाता प्रमुख चुनावी मुद्दा, कौन हैं ये मतदाता और कहां से आए?
विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा 2015 में भारत की प्रामाणिक नागरिक घोषित किये जाने के बावजूद असम के कछार जिले के सैदपुर गांव की अंजलि रॉय अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में असमर्थ हैं क्योंकि मतदाता सूची में उनके नाम के सामने अंकित किये गये ‘संदिग्ध (डाउटफुल) मतदाता चिह्न को अभी तक नहीं हटाया गया है. ‘संदिग्ध मतदाता वे व्यक्ति हैं जिनकी पहचान मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान ‘डी मतदाता के रूप में की गई है, या जिनके मामले विदेशी न्यायाधिकरण के पास लंबित हैं या न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किए गए हैं.
रॉय की पहचान 2012 में ‘डी मतदाता के रूप में की गई थी. ऐसा ही मामला जिले के चेइल्ताकंडी गांव की रहने वाली बनीसा बेगम का है, जिन्होंने विदेशी घोषित होने के बाद सिलचर के निरोधक शिविर में दो साल बिताये थे.उनके परिवार के अन्य सभी सदस्यों का नाम हालांकि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में दर्ज कर लिया गया है और उन्हें मतदान करने का अधिकार है, लेकिन बनेसा 26 अप्रैल को सिलचर लोकसभा चुनाव क्षेत्र में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए मतदान केंद्र पर नहीं जा सकेंगी.
अंजलि और बनीसा उन कई लोगों में शामिल हैं, जो बराक घाटी में करीमगंज और सिलचर निर्वाचन क्षेत्रों में ‘डी मतदाता होने के कारण अपना वोट नहीं डाल पाएंगे. पड़ोसी देश बांग्लादेश से विस्थापित होकर, बड़ी संख्या में हिंदू बंगाली पिछले कुछ वर्षों में घाटी में बस गए थे, और सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनावों में उनकी नागरिकता और ‘डी मतदाता टैग से संबंधित मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनाया है.
निर्वाचन आयोग द्वारा 1997 में असम में ‘डी मतदाताओं की अवधारणा पेश की गई थी. यह भारत में कहीं और मौजूद नहीं है. मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने विधानसभा में कहा था कि राज्य में 96,987 ‘डी या ‘संदिग्ध मतदाता हैं. बराक घाटी में दो निर्वाचन क्षेत्रों में जारी प्रचार अभियान के दौरान, शर्मा ने घोषणा की थी कि बंगाली हिंदुओं की नागरिकता का मुद्दा और ‘डी मतदाता टैग चुनाव के बाद छह महीने के भीतर हटा दिया जाएगा.
शर्मा ने प्रचार अभियान के दौरान कहा, ‘‘हम इसके समाधान के लिए पहले कोई वादा नहीं कर सके क्योंकि केंद्र को कुछ काम करना बाकी था लेकिन अब यह पूरा हो गया है. मैं आश्वासन दे सकता हूं कि ‘डी मतदाताओं का मुद्दा और बंगाली हिंदुओं की नागरिकता से संबंधित अन्य समस्याओं को छह महीने के भीतर सुलझा लिया जायेगा.
मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए, करीमगंज में कांग्रेस के उम्मीदवार हाफिज अहमद राशिद चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा को बताया कि सरकार इसके बारे में कुछ नहीं कर सकती क्योंकि ‘डी मतदाता की अवधारणा निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश के अनुसार पेश की गई थी. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इसे वापस नहीं ले सकती या अपनी ओर से कुछ नहीं कर सकती। वह आयोग से यह आग्रह कर सकती है कि 1997 में जारी दिशानिर्देश को वापस लिया जाये.
सिलचर से भाजपा उम्मीदवार परिमल शुक्लाबैद्य ने दावा किया कि एक बार नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता का मुद्दा हल हो जाएगा, तो बंगाली हिंदुओं से जुड़े ‘डी -मतदाताओं के मुद्दे का समाधान किया जायेगा. कांग्रेस के उनके प्रतिद्वंद्वी सूर्यकांत सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री इसे चुनावी मुद्दा बना रहे हैं लेकिन ‘लोग उनके वादों को लेकर आश्वस्त नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यदि शर्मा बंगाली हिंदुओं के मुद्दे का समाधान करना चाहते थे, तो वह इसे पहले ही कर सकते थे। किसी भी सरकारी नीति के जरिये छह माह में ऐसा करना संभव भी नहीं है.
पीएम मोदी ने काशी को हर क्षेत्र में सम्मान दिलाने का काम किया : अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि पीएम ने काशी को हर क्षेत्र में सम्मान दिलाने का काम किया है. गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को भ्रष्टाचार, जातिवाद, परिवारवाद, तुष्टिकरण, आतंकवाद और नक्सलवाद से मुक्त से मुक्त किया है. काशी की विरासत के साथ ही आधुनिकता का भी उन्होंने ख्याल रखा है.
उन्होंने कहा कि गुलामी की निशानियों से भी देश को मुक्त करने का काम पीएम ने किया. अनुच्छेद-370 को हटाया, तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया और सीएए लेकर आए. काशी में खिलाड़ियों के लिए नया स्टेडियम बन रहा है, बनारस का नया रिंग रोड बना, बनारस के सभी मार्गों को चौड़ा कर सारे बिजली के तार अंडरग्राउंड कर दिये गये. हजारों करोड़ से बनारस को सुंदर करने का काम पीएम ने किया.
टाटा कैंसर हॉस्पिटल, टीसीएस का सेंटर, पुराने घाटों की सफाई, नया नमो घाट बनाकर पूरे विश्व के आकर्षण का केंद्र बनाना और गंगा मां को स्वच्छ करना उनकी उपलब्धियां हैं. वर्षों के बाद गंगाजल आचमन के लायक है. अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बना, देश के 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर आये. उनकी सरकार ने करोड़ों किसानों को एमएसपी से लाभान्वित करने का काम किया.
वन रैंक, वन पेंशन लागू किया. महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया. गृह मंत्री ने कहा, अब मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाना है. मोदी जी के तीसरे टर्म में भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. उन्होंने कहा कि पीएम ने देश के गरीब अमीर, बच्चे-बुजुर्ग सभी वर्ग का ख्याल किया और सभी की तरक्की के बारे में सोचा. काशी में विकास की गंगा बहा दी.
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त्रिपुरा में बिना बिजली वाले दूरदराज के एक गांव की कहानी, हर बार मिल जाता है एक वादा
त्रिपुरा में धलाई जिले के दूरदराज के गांव विद्या कुमार रोअजा पाड़ा में रहने वाले ‘झुमिया (जगह जगह पर कृषि कार्य करने वाले) किसान बिक्रमजॉय त्रिपुरा का कहना है कि नेता चुनाव के दौरान उनके गांव में आते हैं और विकास का वादा करते हैं, पर कोई वादा पूरा नहीं करते. इसके बावजूद वह हर बार इस उम्मीद में मतदान करते हैं कि उन्हें अपने घर पर बिजली और मोबाइल फोन ‘कनेक्टिविटी की सुविधा मिलने लगेगी.
धलाई जिला मुख्यालय अंबासा से लगभग 62 किमी दूर स्थित इस गांव की मुख्य समस्या आवागमन एवं संपर्क है, क्योंकि प्रखंड मुख्यालय चावमानु से गांव तक मोटर वाहन के लिए उपयुक्त सड़क नहीं है. उन्होंने इस सुदूरवर्ती गांव का दौरा करने वाले ‘पीटीआई-भाषा के संवाददाता से बातचीत में यह बात कही. उन्होंने कहा कि उनके गांव में बिजली, मोबाइल फोन सम्पर्क या स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं नहीं है.
बिक्रमजॉय (41) ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव आ रहा है और हम सभी 26 अप्रैल को मतदान करेंगे, लेकिन यह हमारे लिए पांच साल में एक बार होने वाली खानापूर्ति बनकर रह जाएगा क्योंकि इससे हमारी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकलेगा.स्थानीय भाजपा नेता बिक्रमजीत ने कहा, ‘‘इस गांव में 763 झुमिया परिवार रहते हैं. मानसून के दौरान सभी स्थानांतरित खेती में लगे हुए हैं और राज्य के बाकी हिस्सों से कटे रहते हैं. चावमानु से विद्या कुमार रोअजा पारा (थलचेर्रा) तक की सड़क पिछले कई वर्षों से मरम्मत नहीं होने के कारण मौत के गड्ढे के रूप में तब्दील हो गई है. 11 गांवों में रहने वाले झुमिया परिवारों को राशन लेने के लिए 10 से 20 किमी पैदल यात्रा करनी पड़ती है क्योंकि विद्या कुमार रोअजा पारा से उनके गांवों तक कोई सड़क नहीं है. उन्होंने कहा कि गांव के लोगों के पास स्मार्टफोन तो हैं लेकिन वे इसका उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि गांव में बिजली नहीं है. मोबाइल चार्ज करने के लिए लोगों को 10-12 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है, जो चावमानु प्रखंड मुख्यालय के करीब है.
एक बुजुर्ग महिला चार्डेन त्रिपुरा ने अपने पैतृक गांव विद्या कुमार रोअजा पारा (थालचेरा) की इन्हीं समस्याओं को दोहराया. 54 वर्षीय महिला ने कहा, ‘‘हमने अपने विधायक शंभू लाल चकमा को कई महीनों से नहीं देखा है. चुनाव आने पर वह हमसे मिलने आते हैं. उम्मीद है कि वह वोट मांगने के लिए जल्द ही हमारे गांव आएंगे.
यह गांव पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां 26 अप्रैल को मतदान होना है. एक दुकानदार हिंदीजॉय त्रिपुरा ने कहा, ‘‘हम 300 रुपये खर्च करके अपना मोबाइल फोन रिचार्ज करते हैं, लेकिन कमजोर मोबाइल ‘कनेक्टिविटी के कारण महीने में मुश्किल से पांच से छह दिन मोबाइल डेटा का उपयोग करते हैं. तत्काल आवश्यकता पर हम मोबाइल सिग्नल प्राप्त करने के लिए पहाड़ियों पर चढ़ जाते हैं.
गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं है और एकमात्र स्वास्थ्य सुविधा चावमानु में मौजूद है, जो विद्याकुमार रोअजा पारा और इसके आस-पास की 10 आदिवासी बस्तियों से बहुत दूर है. त्रिपुरा-पूर्व लोकसभा क्षेत्र के मौजूदा सांसद रेबती त्रिपुरा ने कहा कि उन्होंने कई बार केंद्र में ग्रामीणों की ओर से ‘सम्पर्क का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने केंद्रीय मंत्रियों गिरिराज सिंह और नितिन गडकरी से मुलाकात की और अंबासा से चावमानु और गोविंदाबाड़ी तक संपर्क में सुधार के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की है. यह सच है कि सड़क की अभी तक मरम्मत नहीं की गई है.
भारतीय दिल से पाकिस्तानी लड़की को मिली नई जिंदगी, ट्रस्ट ने मुफ्त में कराया हार्ट ट्रांसप्लांट
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक भारतीय लड़के का दिल पाकिस्तानी लड़की में ट्रांसप्लांट किया गया है. कराची की रहने वाली 19 साल की आयशा रशन को दिल ठीक से काम नहीं कर पा रहा था. बीते दिनों उसे सिवियर हार्ट डिस्फंक्शन की वजह से एमजीएम हेल्थकेयर में भर्ती कराया गया था. यहां डॉक्टरों ने उसका हार्ट ट्रांसप्लांट किया. इस तरह एक भारतीय नागरिक के दिल से आयशा को नई जिदंगी मिली. खास बात ये है कि ट्रस्ट की मदद से ये हार्ट ट्रांसप्लांट पूरी तरह से फ्री में किया गया. यानी इसके लिए कोई चार्ज नहीं लिया गया. डॉक्टरों के मुताबिक, आयशा की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. वह जल्द कराची लौट जाएगी.
आयशा आगे जाकर फैशन डिजाइन की पढ़ाई करना चाहती हैं. उन्होंने NDTV से कहा, ट्रांसप्लांट के बाद मैं पहले से बेहतर महसूस कर रही हूं. वहीं,आयशा के मां ने डॉक्टरों, अस्पताल और मेडिकल ट्रस्ट का शुक्रिया अदा किया है. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट और डॉक्टरों के सहयोग के बिना सर्जरी शायद मुमकिन नहीं हो पाती. वो ऑपरेशन का खर्च नहीं उठा सकते थे.
एम्स से 14 मिनट में ग्रीन कॉरीडोर बनाकर फोर्टिस अस्पताल पहुंचाया गया दिल, युवक को मिली नई जिंदगी
डॉक्टरों के मुताबिक, आयशा रशन का हार्ट फेल होने के बाद उसे ECMO में रखा गया था. ये जानलेवा बीमारी या गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम का काम करता है. ये मरीज के दिल और फेफड़ों के काम पर असर डालता है. डॉक्टर बताते हैं कि आयशा के हार्ट वॉल्व में लीकेज हो गया था, जिस वजह से उसे ट्रांसप्लांट की जरूरत थी.हार्ट ट्रांसप्लांट में आता है 35 लाख से ज्यादा का खर्चा
रिपोर्ट के मुताबिक, हार्ट ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया में कम से कम 35 लाख से ज्यादा का खर्चा आता है. आयशा रशन के मामले में सर्जरी का पूरा बिल डॉक्टरों और ट्रस्ट की ओर से चुकाया गया था.
दिल्ली से पहुंचाया गया दिल
इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग्स ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर डॉ. केआर बालाकृष्णन ने NDTV को बताया, आयशा लकी थी कि कम समय में हार्ट का इंतजाम हो गया. उसके लिए दिल्ली से दिल चेन्नई पहुंचाया गया. उन्होंने कहा कि रशन का हार्ट ट्रांसप्लांट तेजी से हुआ, क्योंकि इसे लेकर कोई दावा नहीं था. नियम के मुताबिक किसी विदेशी को भारत में अंग नहीं मिल सकता था. डॉ. केआर बालाकृष्णन कहते हैं, वह मेरी बेटी की तरह है... हमारे लिए हर जिंदगी मायने रखती है.
मानव शरीर में लगाई सूअर की किडनी, US के डॉक्टर्स बोले- बढ़िया तरीके से कर रही काम
डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट नीति बेहतर करने की अपील
डॉक्टरों ने सरकार से एक बेहतर नीति की अपील भी की, क्योंकि उनका कहना है कि ट्रांसप्लांट सर्जरी पर होने वाले भारी खर्चे के कारण दान में आए कई अंगों का इस्तेमाल ही नहीं हो पाता. बता दें कि केंद्र सरकार ने इस हफ्ते सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ट्रांसप्लांट के संभावित नियमों के उल्लंघनों की जांच करने और कार्रवाई करने के लिए कहा है.
दस्तावेजों में गड़बड़ियां ठीक कराने के लिए क्यों मुस्लिमों में लगी है होड़?
मोदी सरकार (Modi Government) ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA) को देश में लागू कर दिया है. CAA के आने के बाद मुंबई में मुस्लिम समाज के कुछ लोग असमंजस में हैं. उन्हें इस बात का खौफ है कि CAA के बाद नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स यानी NRC भी जल्द लागू किया जा सकता है. ऐसे में मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) के लोग इन दिनों अपने कागजात जुटाने और उनमें छोटी-मोटी गलतियों को सही कराने में लगे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, अब तक 40 हजार लोग अपने डॉक्युमेंटेशन पर करेक्शन करवा चुके हैं. कुछ लोग कागजात के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी लगा रहे हैं.
120 वर्ग फुट के मुंबई के नागपाड़ा स्थित जाने-माने वकील नदीम सिद्दीक़ी के दफ्तर में इन दिनों हमेशा भीड़ लगी रहती है. ज्यादातर लोग एक ही समुदाय से हैं. हर रोज करीब 200 लोग अपने कागजातों की खामियां ठीक कराने पहुंच रहे हैं. NDTV ने ऐसे ही कुछ लोगों से बात की.
असम में CAA का कोई महत्व नहीं, यहां होंगे सबसे कम आवेदन : CM हिमंता बिस्वा सरमा
इमरान अंसारी करीब 40 साल से मुंबई में बसे हैं. वो कहते हैं कि अगर CAA और NRC पर विरोध की जगह नेता कागजातों को लेकर समुदाय को जागरूक करते, तो गलतफहमियां नहीं होती. इमरान अंसारी ने NDTV से कहा, “नेताओं ने लोगों को बहकाया. CAA और NRC का विरोध करवाया. अगर वो कहते कि कागजात में गड़बड़ियों को ठीक कर लो, तो CAA और NRC का इतना विरोध होता ही नहीं. वो कहते हैं, जो बरसों से किसी जगह रह रहा है, उनके पास तो किसी ना किसी तरह के कागजात होंगे ही. अगर दस्तावेजों में गड़बड़ियां हैं, तो ठीक करवाइए. सरकार क्यों निकालेगी आपको?
CAA और NRC को लेकर जागरूकता के बीच अब भी कुछ लोगों में खौफ का माहौल कायम है. मुंबई के जाने-माने वकील नदीम सिद्दीकी इन दिनों ऐसे ही लोगों के कागजात में तब्दीलियां करने में जुटे हैं. उनके पांच रजिस्टर भर चुके हैं.वकील नदीम सिद्दीकी ने NDTV से कहा, पहले 40-50 लोग दस्तावेज बनवाने या उनमें गड़बड़ियां ठीक कराने आते थे. अब रोजाना करीब 200 लोग आ रहे हैं. सरकार की नीयत को लेकर ऐसा माहौल है कि कहीं इनकी नागरिकता ना चली जाए. लिहाजा ये लोग अपने-अपने कागजात को दुरुस्त करा रहे हैं.
नदीम सिद्दीकी आगे कहते हैं, असम में क्या हुआ... आपने देखा होगा. वहां लोगों के कागजात मैच नहीं कर रहे थे. नाम में गड़बड़ियां थीं. सबसे ज़्यादा तो मोहम्मद नाम को लेकर दिक्कत होती है. कोई सिर्फ Md लिखता है, तो कोई Mohd लिखता है. कोई मोहम्मद में Ed लगाता है, तो कोई Ad. लोग इन्हीं गलतियों को ठीक करवाने आ रहे हैं.”
CAA क्या है?
CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून. ये 11 मार्च 2024 को देश में लागू किया जा चुका है. CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जाएगी. इस कानून के जरिए इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. संसद के दोनों सदनों से CAA विधेयक को 11 दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था. यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे.
NRC क्या है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स बिल एक रजिस्टर है, जिसमें भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा. NRC की शुरुआत 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी. वर्तमान में असम के अलावा ये अन्य किसी भी राज्य में ये लागू नहीं है.
भारत का वैध नागरिक साबित करने के लिए चाहिए ये कागजात
भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए व्यक्ति के पास आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन या सरकार के द्वारा जारी कोई वैध पहचान और स्थाई पता का प्रूफ होना चाहिए. इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया. इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं.
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अरुणाचल पुनर्मतदान : चार विधानसभा क्षेत्रों में 74 प्रतिशत मतदान
अरुणाचल प्रदेश की चार विधानसभा सीट के आठ मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा के बीच बुधवार को पुनर्मतदान हुआ और करीब 74 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. हालांकि, मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना है क्योंकि मतदान के लिए निर्धारित समय समाप्त होने के बाद भी सैकड़ों मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए कतारों में खड़े थे.
आठ मतदान केंद्रों पर पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या 4,469 थी, जहां मतदान सुबह छह बजे शुरू हुआ और अपराह्न दो बजे समाप्त हुआ. अधिकारी ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में 19 अप्रैल को एकसाथ कराए गए लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान आठ मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी और हिंसा होने की जानकारी सामने आयी थी.
निर्वाचन आयोग ने बामेंग विधानसभा क्षेत्र में सारियो, कुरुंग कुमे में नयापिन विधानसभा सीट के तहत आने वाला लोंग्ते लोथ, सियांग में रुमगोंग सीट के अंतर्गत आने वाले बोग्ने और मोलोम मतदान केंद्र का आदेश दिया था. इसी तरह आयोग ने अपर सुबनसिरी जिले में नाचो निर्वाचन क्षेत्र के तहत आने वाले डिंगसर, बोगिया सियुम, जिम्बरी मतदान केंद्र पुनर्मतदान कराने का आदेश दिया था.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पवन कुमार सैन ने बताया कि आठ मतदान केंद्रों पर सुबह छह बजे पुनर्मतदान शुरू हुआ और यह दोपहर दो बजे समाप्त होगा. उन्होंने बताया कि यदि मतदान समय पर पूरा नहीं हुआ तो सभी पात्र मतदाताओं को पर्ची जारी करने के बाद मतदान करने की अनुमति दी जाएगी. यहां पुनर्मतदान कराने के लिए सुरक्षा के सख्त इंतजाम किये गए हैं. मतदान प्रक्रिया की निगरानी के लिए पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) चुखु आपा के साथ चार पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को सुबनसिरी जिले के दापोरिजो में तैनात किया गया है.
सैन ने बताया कि जिले के चार मतदान केंद्रों पर प्रत्येक एसपी को मतदान केंद्र का प्रभारी नियुक्त किया गया है. निचले सुबनसिरी जिला के निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) विवेक एचपी भी दापोरिजो में मौजूद थे. पूर्वी सियांग के एसपी सचिन सिंघल, पश्चिमी सियांग के उपायुक्त हेज मामू और एसपी अभिमन्यु पोसवाल रुमगोंग में दो मतदान केंद्रों के प्रभारी नियुक्त किए गए हैं.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, इन आठ मतदान केंद्रों पर कई सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है और इस बार अगर ऐसा कुछ होता है या कोई गैरकानूनी तरीके से ईवीएम छीनने या छूने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस पूर्वोत्तर राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के 50 विधायकों को चुनने के लिए 19 अप्रैल को कुल 8,92,694 मतदाताओं में से 82.71 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले ही दस विधानसभा सीट निर्विरोध जीत चुकी है.
राज्य में लोकसभा चुनाव में 77.51 प्रतिशत मतदान हुआ. विधानसभा चुनाव की मतगणना दो जून को होगी, जबकि लोकसभा चुनाव के लिए पड़े मतों की गिनती चार जून को होगी.
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NDTV इलेक्शन कार्निवल पहुंचा भोपाल, मध्य प्रदेश में BJP करेगी क्लीन स्वीप या मजबूत होंगे कांग्रेस के हाथ?
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में पहले फेज की वोटिंग के बाद 26 अप्रैल को दूसरे फेज की वोटिंग होनी है. चुनावी माहौल और जनता के मूड को भांपने के लिए NDTV इलेक्शन कार्निवल (NDTV Election Carnival) दिल्ली, उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ का सफर तय कर चुका है. बुधवार को Election Carnival मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal Seat) पहुंचा. एमपी में इस बार पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे चरण में वोटिंग हो रही है. बीजेपी के मजबूत गढ़ भोपाल में चौथे चरण में 7 मई को वोट डाले जाएंगे. इस बार भी मुकाबला बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच में है.
भोपाल लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है. 3 नामांकन फॉर्म वापस होने के बाद अब 22 उम्मीदवार शेष बचे हैं, जो चुनाव मैदान में हैं. 2019 के लिहाज से देखें, तो भोपाल बीजेपी का एक मजबूत गढ़ है. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 28 सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं. एक छिंदवाड़ा सीट जरूर कांग्रेस को मिली थी. पीएम मोदी ने इस बार अबकी पार 400 पार का नारा दिया है. ऐसे में देखना होगा कि क्या बीजेपी इस बार मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप कर पाएगी? या कांग्रेस के हाथ मध्य प्रदेश में मजबूत होंगे?
NDTV Election Carnival: टिकट कटने के बाद रायपुर के BJP सांसद ने पार्टी उम्मीदवार के लिए क्या कहा?
बीजेपी और कांग्रेस का उम्मीदवार कौन?
भोपाल में बीजेपी ने मौजूदा सांसद प्रज्ञा ठाकुर का टिकट काटा है. यहां से पूर्व मेयर आलोक शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है. जबकि कांग्रेस से अरुण श्रीवास्तव पर दांव खेला है.
बीजेपी ने क्या कहा?
क्या मध्य प्रदेश में बीजेपी इसबार क्लीन स्वीप कर पाएगी? क्या भोपाल में बीजेपी के जीतने पर कितना विश्वास है? इसके जवाब में मोहन यादव सरकार में खेल, युवा और सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सांरग कहते हैं, मुझे पूरा विश्वास है कि सिर्फ भोपाल ही नहीं, बल्कि हम मध्य प्रदेश भी प्रचंड बहुमत से जीत रहे हैं. ये हम ही नहीं कह रहे, बल्कि जमाना कह रहा है. यहां तक कि कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी कह चुके हैं कि इस बार 400 पार होगा.
समझाया मोदी की गारंटी का मतलब
विश्वास कैलाश सांरग कहते हैं, जनता ने इस बात को स्वीकार किया है. अबकी बार 400 पार का नारा सिर्फ नारा नहीं है, ये जनता का मोदी सरकार और पीएम मोदी के प्रति विश्वास है. भरोसा है. जनता ने मोदी की गारंटी को दिलो-दिमाग से स्वीकार किया है. मोदी की गारंटी यही है कि जो गारंटी दी गई है, वो पूरी होगी. मोदी ने नारी सशक्तीकरण की गारंटी दी है. युवाओं को रोजगार देने की मोदी की गारंटी है. मोदी की गारंटी मध्यम वर्ग के उन्नयन की है. मोदी की गारंटी गांव के विकास की है. मोदी की गारंटी शहरों के विकास की है. मोदी की गारंटी समृद्ध भारत की है. मोदी की गारंटी श्रमिकों को उचित स्थान देने की है. किसान की खेती को फायदे का धंधा बनाने के लिए भी मोदी की गारंटी है. मोदी की गारंटी विरासत से विकास की है. जनता ने मोदी की गारंटी को महज स्वीकार ही नहीं किया, बल्कि जनता ने रिपोर्ट कार्ड पर अपने साइन भी कर दिए हैं.
मोदी ने बदली देश की तस्वीर और तकदीर
बीजेपी नेता ने कहा, पीएम मोदी ने जिस प्रकार से देश की तस्वीर और देश की तकदीर को बदला है. मोदी ने जिस तरह से भारत की आबोहवा को बदला है, उन्होंने जिस तरीके से देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा है, उसे जनता समझती है और स्वीकार भी करती है. भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम मोदी की मुहीम को लोगों ने स्वीकार किया है. सांरग ने कहा कि इस बार बीजेपी को 29 में से 29 सीटें मिलेंगी. हम छिंदवाड़ा भी जीत लेंगे.
भोपाल में क्या हैं चुनावी मुद्दे?
लोकसभा चुनाव में सबसे बड़े मुद्दों को लेकर पूछे गए सवाल पर विश्वास सांरग ने कहा, चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा तो मोदी की स्वीकारोक्ति है. मोदी की गारंटी है. हमने 2024 में जो संकल्प पत्र जनता के सामने रखा है, उसमें मोदी की गारंटी को लेकर हर बार कही गई है. हमने गरीब कल्याण की बात की है. हमने विरासत से विकास की बात भी की है. एक तरफ समृद्ध भारत के निर्माण की बात की गई है, दूसरी तरफ सशक्त अर्थव्यवस्था की बात भी हुई है. गांव के विकास के साथ ही शहर को भी वर्ल्ड क्लास बनाने का संकल्प लिया गया है. हमने मैन्युफैक्चरिंग हब की बात की है, तो युवाओं के रोजगार का भी संकल्प लिया है. कुल मिलाकर हमने भारत के समेकित विकास का संकल्प लिया है. जनता भी इसे स्वीकार करती है.
छत्तीसगढ़ पहुंचा NDTV इलेक्शन कार्निवल, कैसा है सरगुजा की जनता का मिजाज?
कांग्रेस ने क्या कहा?
वहीं, कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री, पूर्व रणजी प्लेयर मुकेश नायक ने NDTV इलेक्शन कार्निवल में कहा, पहले चरण में 18 फीसदी वोट कम हुआ. 3.3 फीसदी वोट छिंदवाड़ा में कम हुआ. 12 फीसदी वोट सीधी में कम हुआ. 5-5 फीसदी वोट मंडला और बालाघाट में घटा है. बीजेपी के दावों के हिसाब से तो पिछले इलेक्शन की तुलना में 20 फीसदी वोट ज्यादा होना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. क्यों नहीं हुआ, ये सोचने का विषय है.
क्या वोटिंग का ट्रेंड बदला है?
नायक कहते हैं, बीजेपी कार्यकर्ताओं में असंतोष का माहौल है. इसलिए वोटिंग ट्रेंड सरकार के पक्ष में नहीं है, क्योंकि शहरी क्षेत्रों में पिछले चुनावों में जहां बीजेपी की ज्यादा लीड थी, वहां वोटिंग पर्सेंटेज गिरा है. इसका मतलब है कि बीजेपी का सीधा-सीधा नुकसान हुआ है.
बीजेपी का झूठ सबके सामने
2 लाख कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीजेपी ज्वॉइन करने के दावों पर मुकेश नायक ने कहा, बीजेपी का झूठ सबके सामने है. 2 लाख कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बीजेपी में शामिल किया गया. हम लोग कांग्रेस के प्रमुख नेता हैं, हमें इतनी बड़ी बात की खबर तक नहीं लगी? मैं तो कहता हूं कि सबका नाम पोर्टल में डाला जाए, सच सामने आ जाएगा.
भाजपा के स्टार प्रचारक सीएम योगी की बढ़ी डिमांड, 25 दिन में किए 67 से अधिक रैलियां और रोड शो
लोकसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में शामिल यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डिमांड खूब बढ़ी है. इसकी तस्दीक आंकड़े भी करते हैं. उत्तर प्रदेश में 26 अप्रैल को दूसरे चरण का चुनाव होना है. मगर, मुख्यमंत्री योगी पूरे राज्य में 25 दिन में 67 से अधिक रैलियां, रोड शो, प्रबुद्ध सम्मेलन कर उम्मीदवारों को जिताने की अपील कर चुके हैं.
सीएम योगी ने दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की सभी आठों सीटों पर कई रैलियां, रोड शो, प्रबुद्ध सम्मेलन कर जनता से और ज्यादा संवाद करने का प्रयास किया है.
पार्टी की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने अब तक छह अन्य राज्यों में भी भगवा पताका फहराने के लिए प्रचार किया है. सीएम योगी ने मथुरा से प्रबुद्ध सम्मेलन कर अपनी चुनावी यात्रा का आगाज किया था तो दूसरे चरण में हनुमान जयंती के दिन श्रीराम के लिए आखिरी कार्यक्रम रोड शो का किया. दूसरे चरण का चुनाव 26 अप्रैल को है. पीएम नरेंद्र मोदी को तीसरी बार देश की कमान सौंपने का आह्वान सीएम योगी ने 27 मार्च से प्रारंभ किया था. योगी ने 27 मार्च को पहला प्रबुद्ध सम्मेलन मथुरा में किया.
यहां से अभिनेत्री, सांसद व भाजपा की उम्मीदवार हेमा मालिनी के लिए योगी आदित्यनाथ ने प्रबुद्धजन से संवाद साधा तो दूसरे चरण का आखिरी प्रचार उन्होंने रामायण धारावाहिक के श्रीराम और मेरठ से भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल के लिए किया. बागपत सीट से वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के सांसद सत्यपाल सिंह हैं. इस बार यह सीट गठबंधन के कारण लोकदल के खाते में गई. यहां से लोकदल के उम्मीदवार डॉ. राजकुमार सांगवान चुनाव मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के लिए योगी आदित्यनाथ ने जहां कई-कई बार धुआंधार प्रचार किया तो वहीं राजकुमार सांगवान के लिए भी उन्होंने रात-दिन एक कर दिया.
31 मार्च को चौधरी चरण सिंह गौरव सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने भी मेरठ से बागपत वासियों से राजकुमार सांगवान को सदन भेजने की अपील की. दूसरे चरण की उत्तर प्रदेश की जिन आठ सीटों पर चुनाव होने हैं, उसमें से गाजियाबाद और मेरठ में इस बार भाजपा ने नए प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. गाजियाबाद से वर्तमान में वीके सिंह और मेरठ से राजेंद्र अग्रवाल सांसद हैं. भाजपा ने गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग को मैदान में उतारा है तो मेरठ में अरुण गोविल उम्मीदवार हैं.
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ अब तक महाराष्ट्र, जम्मू, उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ में भी रैली कर चुके हैं. इनमें से छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, महाराष्ट्र के वर्धा, राजस्थान के जोधपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बाड़मेर सीटों पर 26 अप्रैल को चुनाव होगा.
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